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राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को एक निजी संस्थान में बदलने के कदम का विरोध करते हुए, 200 से अधिक डेयरी सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मिल्मा के साथ हाथ मिलाया है।
इस संदर्भ में केंद्र को लिखे एक पत्र में दावा किया गया है कि प्रस्तावित संशोधनों से डेयरी सहकारी उद्योग कमजोर होगा। एनडीडीबी बोर्ड में प्राइवेट कंपनी से जुड़े विशेषज्ञों की नियुक्ति सीधे तौर पर एनडीडीबी को गैर-सहकारी संस्थान में निवेश करने की अनुमति देने पर केंद्रित है।
इस कदम का अमूल, नंदिनी और मिल्मा के सेवानिवृत्त एमडी समेत अन्य ने विरोध किया है। संयोग से जीसीएमएमएफ और एनडीडीबी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुये हैं।