महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने सोमवार को अपने वाशी कार्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस मौके पर राज्य के जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान संकटग्रस्त जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया गया।
इस कार्यशाला का उद्घाटन राज्य के सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने किया और समापन समारोह में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भाग लिया। इसके अलावा, सहकारिता आयुक्त अनिल कावड़े, नाबार्ड डीजीएम, 31 डीसीसीबी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक उपस्थित थे।
भारतीय सहकारिता के साथ बात करते हुए, एमएससी बैंक के प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष विद्याधर अनस्कर ने कहा, “यह एक बहुत ही उपयोगी और लाभकारी बैठक हुई। एक दिवसीय कार्यशाला में कई सत्रों का आयोजन किया गया। हमने न केवल नाबार्ड से संबंधित मुद्दों को उठाया बल्कि डीसीसीबी के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया गया।”
“हमने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को ‘शेड्यूल स्टेटस’ देने की मांग की ताकि उन्हें रियायतें मिल सकें और वे कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकें। वित्तीय हालत खराब होने के कारण नाबार्ड राज्य के कई डीसीसी बैंकों को पुनर्वित्त नहीं प्रदान कर रहा है। इस संबंध में, हमने एमएससी बैंक को उन बैंकों को पुनर्वित्त देने की अनुमति देने के लिए सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है, जो वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं”, उन्होंने कहा।
अनस्कर ने आगे कहा, “हम वित्तीय संकट से जूझ रहे जिला सहकारी बैंकों को 500 करोड़ रुपये तक का ऋण सस्ते ब्याज दर पर दे सकते हैं और पांच साल में बैंक को घाटे से बाहर निकाल सकते हैं।”
इस अवसर पर पैक्स सचिव को डीसीसीबी का कर्मचारी बनाने के लिए राज्य सहकारी कानून में संशोधन करने का निर्णय लिया गया। “कई मामलों में, हमने देखा है कि ऋण वसूली के समय, कई पैक्स सचिव धन की हेराफेरी में लिप्त पाए गये हैं। यदि सचिव को डीसीसीबी का कर्मचारी बनाया जाता है तो हम अच्छे से निगरानी रख सकते हैं”, अनस्कर ने कहा।
उल्लेखनीय है कि एमएससी बैंक ने नाबार्ड से राज्य की पैक्स समितियों को सीधे अल्पकालिक पुनर्वित्त देने की स्वीकृति प्राप्त कर ली है और एमएससी बैंक के उपनियमों में संशोधन के लिए 28 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक विशेष आम बैठक बुलाई है।
स्मरणीय है कि वित्तीय संकट के कारण कई डीसीसीबी पैक्स को पुनर्वित्त देने की स्थिति में नहीं हैं।