कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सीए मिलिंद काले ने पुणे में आयोजित फिनटेक कंपनियों की एक बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि फिनटेक कंपनियों को समाज के अंतिम व्यक्ति की वित्तीय जरूरतों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “फिनटेक कंपनियों के महत्व को अभी तक पूरी तरह से महसूस नहीं किया गया है। फिनटेक कंपनियां वित्तीय संस्थानों का समय एवं पैसा बचाने में मदद कर सकती हैं। उन्हें वित्तीय संस्थानों को अपनी क्षमता के बारे में अवगत कराना चाहिए।”
“अगर फिनटेक सहकारी बैंकों, छोटी क्रेडिट सहकारी समितियों और अन्य वित्तीय संस्थानों की जरूरतों को भांपने में सक्षम होता है तो वह उन्हें सही सेवाएं प्रदान करने में समर्थ होगा, जो सभी वित्तीय संस्थानों के लिए बेहद लाभदायक होगा”, उन्होंने कहा।
काले ने आगे कहा कि फिनटेक मीटअप निश्चित रूप से कोई निष्कर्ष तक पहुंचेगी। इसका आयोजन कॉसमॉस बैंक के प्रधान कार्यालय में किया गया था।
इस अवसर पर वित्त-प्रौद्योगिकी, बैंकिंग पर विभिन्न संगोष्ठियों और चर्चाओं का आयोजन किया गया। कॉसमॉस बैंक के निदेशक अरविंद तवारे ने कहा कि “फिनटेक कंपनियों को यूसीबी की कार्य संस्कृति को समझना चाहिए।”
इस अवसर पर कई वक्ताओं ने कहा कि फिनटेक कंपनियां ज्यादातर बेंगलुरु शहर पर फोकस कर रही हैं। उन्होंने कहा कि फिनटेक कंपनियों को अन्य शहरों में भी अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
“अगर फिनटेक उद्यमी इस तरह के विचारों के साथ आगे आती हैं तो कॉसमॉस बैंक निश्चित रूप से उन्हें वित्तपोषित करने का बीड़ा उठाएगा। कॉसमॉस बैंक फिनटेक और यूसीबी के बीच संपर्क साधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा”, काले ने कहा।
इस कार्यक्रम के दौरान कई फिनटेक कंपनियों के प्रबंध निदेशक और सीईओ मौजूद थे। कॉसमॉस बैंक के आईटी विभाग के मनोज यादव ने अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया, जबकि गिरेंद्र कशमलकर ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
पाठकों को याद होगा कि हाल के वर्षों में कई वित्तीय विशेषज्ञों ने बैंकिंग सेवाओं में फिनटेक के बढ़ते उपयोग के विचार को समर्थन दिया है। इस संदर्भ में वैम्निकॉम और अन्य सहकारी संगठनों ने कई प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वित्तीय परिचालन में फिनटेक के विचार का समर्थन किया है।