देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने की दिशा में एनसीयूआई ने पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक ब्लॉक स्तरीय बैठक का आयोजन किया, जिसमें संस्था के निदेशक रितेश डे समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
बैठक के तुरंत बाद भारतीय सहकारिता से बातचीत में डे ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सहकारी आंदोलन तेजी से आगे बढ़ा रहा है, जहाँ कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन क्षेत्र से जुड़े अधिकारी एक साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने राज्य के सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने में रायगंज में एनसीयूआई की ओर से चलाए जा रहे एक फील्ड प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की भी सराहना की।
डे ने आगे कहा, इस बैठक में 18 ग्राम पंचायतों से लगभग 200 लोगों ने भाग लिया। प्रत्येक ग्राम पंचायत से 2-3 पैक्स जुड़ी होती हैं और प्रत्येक पैक्स से लगभग 600-700 एसएचजी लिंक हैं। हमने उन्हें सहकारी समिति के गठन के बारे में आवश्यक जानकारी दी और उन्हें इस संबंध में हर संभव मदद देने का भी वादा किया।
इस मौके पर एआरसीएस, जिला सहकारी बैंक, जिला सहकारी संघ, कृषि, मत्स्य और पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया। रितेश ने कहा कि रायगंज विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर ने भी समाज के गरीब और दलित वर्गों के लिए सहकारी आंदोलन के महत्व पर बल देते हुए बैठक को संबोधित किया।
विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में बताया, जिनका वे सीधा लाभ उठा सकते हैं। डे ने कहा कि उनके प्रयासों से जिला स्तर पर विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय हुआ है। ये प्रमुख अधिकारी हैं जो जमीनी स्तर पर सहकारी समितियों के विकास में समर्थन, मार्गदर्शन और सहायता करते हैं।
डे ने कहा कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने विभिन्न मंत्रालयों के बीच सहकारी गतिविधियों के समन्वय की बात कही थी। यह सहकारिता मंत्रालय के महत्वपूर्ण जनादेशों में से एक है और हमने रायगंज में आयोजित बैठक में इसका जीता जागता उदाहरण देखा।
रितेश डे ने अपने भाषण में एनसीयूआई हाट पर भी विस्तार से बात की, जहाँ बिना किसी शुल्क के सहकारी संस्था और एसएचजी अपने उत्पादों का विपणन कर सकते हैं।
इस दौरान स्कूली छात्रों के बीच सहकारिता के महत्व पर जागरूकता पैदा करने के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर पैक्स से जुड़े स्वयं सहायता समूहों ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया।