इस साल जनवरी में हुए नेशनल फेडरेशन ऑफ टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्ट कोऑपरेटिव्स ऑफ इंडिया (एनएफटीसी) का चुनाव विवादों में घिर गया है। संस्था के बरखास्त प्रबंध निदेशक संजय सिन्हा ने वर्तमान अध्यक्ष वीवीपी नायर पर रिटर्निंग ऑफिसर डॉ वी के दूबे की मिली भगत से गौरकानूनी तरीके से चुनाव जीतने का आरोप लगाया है।
चुनाव में हुई धांधली के मद्देनजर, सिन्हा ने सहकारिता विभाग के सचिव को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। सिन्हा ने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के लिए वीवीपी नायर ने राम नरेश ठाकुर (एनएफटीसी, कार्यकारी निदेशक-परियोजना और मानव संसाधन) की मदद से 48 राज्य सहकारी समितियों को एनएफटीसी का सदस्य बनाया, जिनमें से 34 समितियां एनएफटीसी के संचालन क्षेत्र में नहीं आती हैं।
उन्होंने आगे कहा, “नायर ने चुनाव अधिकारी की मिलीभगत से 34 से अधिक समितियों के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की ताकि यह दिखाया जा सके कि उक्त सोसाइटी एनएफटीसी के संचालन के क्षेत्र में आती हैं। संस्था का संचालन क्षेत्र दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और जम्मू और कश्मीर तक सीमित है, एमडी ने दावा किया।
भरतीय सहकारिता संवाददाता से बात करते हुए सिन्हा ने कहा, नायर एनएफटीसी को अपनी निजी जागीर समझते हैं। वह दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में किराए पर एक फ्लैट और स्थानीय यात्राओं के लिए एक निजी वाहन की मांग करते रहते हैं। हमारी संस्था की आय काफी सीमित है और उनकी व्यक्तिगत मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं”, उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि एनएफटीसी में नायर जिस संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, वह गोवा स्थित है और उक्त राज्य हमारे संचालन क्षेत्र में नहीं आता है। कुछ दिन पहले हमने केंद्रीय रजिस्ट्रार से गोवा राज्य में हमारे संचालन के क्षेत्र का विस्तार करने का अनुरोध किया था, लेकिन कई आधारों पर, उन्होंने हमारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया”, सिन्हा ने बताया।
हालांकि, सिन्हा द्वारा लगाए गए आरोपों को बोर्ड के कुछ नवनिर्वाचित सदस्यों ने सिरे से खारिज करते हुए पूछा वे इतने दिनों से कहाँ थे। “आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि सिन्हा को हाल ही में एमडी के पद से बर्खास्त कर दिया गया है और इसका प्रभार राम नरेश ठाकुर को सौंपा गया है। अपनी बर्खास्तगी के मद्देनजर वह हमारे खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं, जो निराधार हैं”, एक निदेशक ने भारतीय सहकारिता संवाददाता से फोन पर बातचीत में कहा।
रिटर्निंग ऑफिसर डॉ वी के दूबे की मदद से नायर अपना एजेंडा चलाने में सफल हुए। दूबे ने वास्तविक प्रतिनिधियों के नामांकन पत्रों को गलत आधार पर अस्वीकार कर दिया। सिंह का आरोप है कि अब नव निर्वाचित अध्यक्ष और निदेशक धन की हेराफेरी कर रहे हैं।
सिन्हा ने दावा किया कि सारी हदों पार करते हुए आरोपियों ने कार्यालय से महत्वपूर्ण जानकारियों को चुरा लिया है।