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सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक मेगा सहकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि नई सहकारी नीति में निष्क्रिय पड़ी पैक्स समितियों के लिए अहम प्रावधान करने पर विचार चल रहा है।
उन्होंने बताया कि यदि कोई निष्क्रिय पैक्स समिति अपने आप को 180 दिनों में खड़ा करने में विफल होती है तो उसे परिसमापन (लिक्विडेशन) प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है और उसकी जगह नई पैक्स समिति का गठन किया जाएगा।
इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और इस कदम से निश्चित रूप से पैक्स समितियों से जुड़े किसानों को काफी फायदा होगा।
शाह ने आगे कहा कि सहकारिता मंत्रालय पैक्स समितियों का एक डेटाबेस भी तैयार कर रहा है। सहकारिता का सिद्धांत ही सहकारी आंदोलन को लंबा जीवन दे सकते हैं और उसके सिद्धांतों पर नहीं चलने के कारण ही कई पैक्स निष्क्रिय हो गई हैं।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र 70 करोड़ वंचित लोगों की आकांक्षाओं को एक मंच प्रदान करके उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकता है।