केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता और पूर्वोत्तर मामलों के राज्यमंत्री श्री बी.एल. वर्मा, सहकारिता मंत्रालय के सचिव, एनसीयूआई के अध्यक्ष और इफको के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन- एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अध्यक्ष तथा कृभको के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर देश के पहले केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता का आयाम कृषि विकास के लिए बहुत अहम है और इसके बिना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की किसानों की आय को दोगुना करने की परिकल्पना को हम पूरा नहीं कर सकते। कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का इतिहास भारत में लगभग 9 दशक पुराना है।
अमित शाह ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का काम सिर्फ़ फ़ायनांस करना नहीं है, बल्कि गतिविधियों का विस्तार करना है। हमें काम के विस्तार में जो कुछ भी बाधाएं हैं, उनके रास्ते निकालने पड़ेंगे और तब जाकर हम कृषि विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ़ बैंक ना चलाएं बल्कि बैंक बनाने के उद्देश्यों की परिपूर्ति की दिशा में काम करने का भी प्रयास करें। लॉंग टर्म फ़ायनांस के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सहकारिता के इस क्षेत्र की स्थापना की गई। नई नई कोऑपरेटिव सोसायटीज़ बनाकर हमें किसान को मध्यम और लंबी अवधि के ऋण देने होंगे।
शाह ने आगे कहा कि तीन लाख से ज्यादा ट्रैक्टरों को इन बैंकों ने फाइनेंस किया है, लेकिन देश में 8 करोड़ से ज्यादा ट्रैक्टर हैं। 13 करोड़ किसानों में से लगभग 5.2 लाख किसानों को हमने मध्यम और लॉन्ग टर्म फाइनेंस दिया है। कई नए रिफॉर्म्स बैंकों ने किए है जो स्वागतयोग्य हैंलेकिन रिफॉर्म्स बैंक स्पेसिफिक ना रहे, वह पूरे सेक्टर के लिए हो। एक बैंक अच्छा काम करता है तो फेडरेशन का काम है कि सारे बैंकों को इसकी जानकारी देकर उसे आगे बढ़ाने का काम करे। बैंक स्पेसिफिक रिफॉर्म्स सेक्टर को नहीं बदल सकता मगर सेक्टर में रिफॉर्म्स हो गए तो सेक्टर अपने आप बदल जाएगा और सेक्टर बदल जाएगा तो सहकारिता बहुत मजबूत हो जाएगी।
कुआं, पंप सेट, ट्रैक्टर, भूमि विकास, हॉर्टिकल्चर, मुर्गीपालन, मत्स्यपालन जैसे कई क्षेत्र आपके काम के अंदर समाहित है, लेकिन इनका एक्सटेंशन करने की जिम्मेदारी हमारी है और हमें इन्हें आगे बढ़ाना पड़ेगा तब जाकर जिस उद्देश्य के साथ इस सहकारिता इकाई की शुरुआत हुई, उन उद्देश्यों की पूर्ति होगी, उन्होंने कहा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लॉन्गटर्म फाइनेंस हमेशा शॉर्टटर्म फाइनेंस से ज्यादा होना चाहिए तभी क्षेत्र का विकास होता है। लॉन्ग टर्म फाइनेंस जितना ज्यादा होगा उतनी ही व्यवस्था दुरुस्त होगी और शॉर्ट टर्म फाइनेंस अपने आप बढ़ जाएगा। 25 साल पहले हमारे यहां लॉन्ग टर्म फाइनेंस एग्रीकल्चर फाइनेंस का 50% था और 25 साल बाद यह हिस्सा घटकर 25% हो गया है, हमें इसकी चिंता करनी चाहिए। असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा में पूरा हमारा ढांचा चरमरा गया है। वर्तमान में सिर्फ 13 राज्यों में कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अपेक्षाकृत दृष्टि से चल रहे हैं और यह सरकार की अपेक्षा के हिसाब से चल रहे हैं।
शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती के प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए भी अमूल प्राइमरी काम कर रहा है। हैंडीक्राफ्ट के मार्केटिंग के लिए भी हमने एक बहुराज्यीय कॉपरेटिव बनाने का सोचा है। बीज सुधार के लिए इफको और कृभको को जिम्मेदारी दी है, एक्सपोर्ट के लिए भी एक मल्टीस्टेट कॉपरेटिव का एक्सपोर्ट हाउस बनेगा और इसके लिए भी भारत सरकार इनीशिएटिव ले रही है और 15 अगस्त से पहले हम इसको जमीन पर उतारने का काम करेंगे। नरेन्द्र मोदी जी ने बजटीय आवंटन में भी ढेर सारी बढ़ोतरी कॉपरेटिव डिपार्टमेंट के लिए की है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव क्षेत्र को कोई सरकार नहीं बढ़ा सकती बल्किइस क्षेत्र को कोऑपरेटिव ही बढ़ा सकता है।