सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार सहकारी समितियों के लिए नई राष्ट्रीय स्तर की नीति बना रही है। नई सहकारिता नीति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 12 और 13 अप्रैल, 2022 को सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता सचिवों/ आरसीएस के साथ आयोजित किया गया था।
इस सम्मेलन में अन्य बातों के साथ-साथ कानूनी ढांचे, नियामकीय, नीतिगत एवं परिचालन संबंधी बाधाओं की पहचान, कारोबारी सुगमता, प्रशासन को मजबूत करने के लिए सुधार, नई एवं सामाजिक सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, निष्क्रिय समितियों को पुनर्जीवित करना, सहकारी समितियों को जीवंत आर्थिक संस्था बनाना, सहकारी समितियों के बीच सहयोग और सहकारी समितियों की सदस्यता बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
साथ ही, मंत्रालय की वेबसाइट के जरिये आम जनता सहित विभिन्न हितधारकों से इस मसौदा नीति पर सुझाव मांगे गए थे। केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों, संघों, संस्थानों एवं आम जनता से प्राप्त टिप्पणियों और हितधारकों के साथ आगे के परामर्श के आधार पर नई नीति तैयार की जाएगी।
भारत के सहकारी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में निम्नलिखित शामिल हैं:
दिनांक 25 अक्टूबर, 2021 को जारी अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने सहकारी चीनी मिलों को यह स्पष्ट करते हुए राहत प्रदान की है कि किसानों को उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) अथवा राज्य की सलाह आधारित मूल्य (एसएपी) तक गन्ने के उच्च मूल्य का भुगतान करने के लिए उन्हें अतिरिक्त आयकर के अधीन नहीं किया जाएगा।
सरकार ने बजट घोषणा 2022 के अनुरूप 1 करोड़ रुपये से अधिक और 10 करोड़ रुपये तक की कुल आय वाली सहकारी समितियों के लिए अधिभार को 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा, सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए सहकारी समितियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) की दर को भी 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है।
इस योजना के सदस्य ऋण संस्थान के रूप में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (सीजीटीएमएसई), गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट द्वारा दिनांक 3 फरवरी 2022 को जारी अधिसूचना के अनुसार पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इससे सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देने के लिए सहकारी संस्थाओं को पर्याप्त, सस्ते और समय पर ऋण उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 1 जून 2022 को दी गई मंजूरी के अनुसार, सहकारी समितियों को जीईएम प्लेटफॉर्म पर खरीदार के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति देने के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस – स्पेशल पर्पस व्हीकल (जीईएम-एसपीवी) के शासनादेश में विस्तार किया गया है।
सरकार द्वारा 29 जून 2022 को दी गई मंजूरी के अनुसार, सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 2,516 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ 63,000 चालू प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के डिजिटलीकरण के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना का कार्यान्वयन पहले ही शुरू हो चुका है।
पैक्स की व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाने और उन्हें जीवंत बहुउद्देशीय आर्थिक संस्था बनाने के लिए राज्य सरकारों, राष्ट्रीय सहकारी संघों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श से नियमों का एक मसौदा तैयार किया जा रहा है।
सभी स्तरों पर सहकारी समितियों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी हितधारकों के परामर्श से ‘कोऑपरेशन फॉर प्रॉस्पेरिटी’ यानी समृद्धि के लिए सहयोग नामक एक नई योजना तैयार की जा रही है।
सरकार के उचित नीतिगत हस्तक्षेप के लिए राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों, राष्ट्रीय सहकारी संघों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श से एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस तैयार किया जा रहा है।
सहकारी क्षेत्र में शिक्षा एवं प्रशिक्षण को आधुनिक और व्यावसायिक बनाने के लिए सभी हितधारकों के परामर्श से प्रशिक्षण एवं शैक्षिक सहकारी संस्थानों को पुनर्निर्देशित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।