भारतीय रिज़र्व बैंक ने पुणे स्थित रूपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
आरबीआई की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबित, “2017 की रिट याचिका संख्या 9286 (नरेश वसंत राउत और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य) के साथ 2014 की रिट याचिका संख्या 2938 (बैंक कर्मचारी संघ, पुणे बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य) में माननीय उच्च न्यायालय के 12 सितंबर 2017 के आदेश के अनुपालन में, उक्त आदेश आज से छह सप्ताह के बाद प्रभावी हो जाएगा।”
परिणामस्वरूप, बैंक 22 सितंबर, 2022 से बैंकिंग कारोबार करना बंद कर देगा। सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक का समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने हेतु आदेश जारी करें।
रिज़र्व बैंक ने निम्न कारणों से बैंक का लाइसेंस रद्द किया। बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(डी) के प्रावधानों का पालन नहीं करता है।
बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22(3)(ए), 22 (3)(बी), 22 (3)(सी), 22 (3)(डी) और 22 (3)(ई) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है।
बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है। बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा; और यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप, “रूपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पुणे” को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5(बी) में परिभाषित ‘बैंकिंग’ कारोबार, जिसमें अन्य बातों के अलावा जमाराशियों को स्वीकार करने और जमाराशियों की चुकौती करना शामिल हैं, करने से प्रतिबंधित किया गया है, प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।
परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपने जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा।
बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, सभी जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमारशि प्राप्त करने के हकदार है। 18 मई, 2022 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के तहत कुल बीमाकृत जमाराशि में से 700.44 करोड़ का भुगतान कर दिया है।