केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ग्रामीण सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर शाह ने उत्कृष्ट राज्य सहकारी बैंकों, ज़िला केन्द्रीय सहकारी बैंकों और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को पुरस्कार भी प्रदान किए। सम्मेलन में सहकारिता राज्यमंत्री श्री बी एल वर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में शाह ने कहा कि पैक्स हमारी सहकारिता कृषि ऋण सिस्टम की आत्मा हैं और मोदी जी के नेतृत्व में पैक्स का कंप्यूटरीकरण कर इसे अधिक पारदर्शी व सशक्त बनाने का काम किया जा रहा है और जब तक ये ठीक नहीं चलते तब तक कृषि ऋण की व्यवस्था ठीक नहीं चल सकती और इसके साथ ही इनका दायरा बढ़ना भी बेहद ज़रूरी है।
उन्होंने कहा, देश में तीन लाख पंचायतें हैं और कुल 95 हज़ार में से अच्छे चलने वाले पैक्स 65 हज़ार हैं, तब भी लगभग 2 लाख पंचायतें ऐसी हैं जहां पैक्स का अस्तित्व ही नहीं है। सभी राज्य और ज़िला सहकारी बैंकों का सबसे पहले काम हर पंचायत में पैक्स की पांच साल की एक रणनीति तैयार करना होना चाहिए। हर ज़िला सहकारी बैंक को अपने क्षेत्र में, हर पंचायत में कैसे पैक्स बन सकता है, इसकी पांच साल की रणनीति बनानी चाहिए और हर राज्य सहकारी बैंक को इस रणनीति की मॉनिटरिंग करना चाहिए और नाबार्ड को भी अपनी विविध योजनाओं के साथ इस रणनीति की पुष्टि करनी चाहिए।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में लगभग साढ़े आठ लाख सहकारी संस्थाएं हैं जिनमें 1,78,000 अलग-अलग प्रकार की क्रेडिट सोसायटीज़ हैं। कृषि ऋण के क्षेत्र में 34 राज्य सहकारी बैंक हैं जिनकी 2,000 से ज़्यादा शाखाएं हैं, 351 ज़िला सहकारी बैंक हैं जिनकी 14 हज़ार शाखाएं हैं और लगभग 95 हज़ार पैक्स हैं। इन सबको मिलाकर अगर देखें तो पता चलता है कि हमारे पूर्वजों ने एक मज़बूत आधार हमें दिया है और इस नींव पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में एक मज़बूत इमारत बनाने का हमारा संकल्प होना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि हमें पैक्स का दायरा बढ़ाना पड़ेगा, ज्यादा से ज्यादा किसान पैक्स के दायरे में आएं, ये प्रयास करना होगा। पैक्स आज भी किसानों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखकर फाइनेंस का काम करते हैं। इस देश के किसान को मानवीय दृष्टिकोण के साथ किए गए फाइनेंस की जरूरत है।
शाह ने कहा कि भारत सरकार ने ग्रामीण सहकारी बैंकों का विस्तार करने की भी एक योजना बनाई जिसे कई जगह खेती बैंक कहते हैं। ग्रामीण सहकारी बैंक आज किसान को डायरेक्ट फाइनेंस करते हैं और अभी विचार हो रहा है कि ग्रामीण सहकारी बैंक भी पैक्स के माध्यम से मीडियम और लॉंग टर्म फाइनेंस कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमने सहकारिता के क्षेत्र में विगत 100 सालों में बहुत अच्छा काम किया है, मगर यह पर्याप्त नहीं है। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में हमें संकल्प करना चाहिए कि जो किया है इससे बहुत अच्छा अगले 100 साल में करके हमारा सहकारिता आंदोलन सदियों तक चले, ऐसा मजबूत खाका भारत में खड़ा करना है।पैक्स के लगभग 13 करोड़ सदस्य हैं, जिनमें से 5 करोड़ सदस्य ऋण लेते हैं और पैक्स हर साल लगभग 2 लाख करोड़ रूपए से अधिक का ऋण वितरण करता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप सभी ने अभी तक सहकारिता के लिए काफी कुछ किया है और देश में सहकारिता की एक मजबूत नींव मौजूद है और इस पर एक बुलंद इमारत बनाने का काम आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष से आजादी की शताब्दी तक के 25 साल में हम करेंगे और 3 लाख पैक्स के हमारे लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए आप लोग आज से ही कार्यरत हों।