जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और सहकार भारती के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य अर्थ गंगा के शासनादेश को साकार करने की दिशा में सहकार भारती के सहयोग को निर्देशित करने वाली स्थानीय सहकारी समितियों की जन भागीदारी, निर्माण और मजबूती के द्वारा एक स्थायी और व्यवहार्य आर्थिक विकास का दृष्टिकोण प्राप्त करना है।
सहकार भारती की ओर से इसके अध्यक्ष डी एन ठाकुर ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। भारतीय सहकारिता से बात करते हुए ठाकुर ने कहा, “सहकार भारती और एनएमसीजी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भूमि और पानी जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन की प्रणाली को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
एमओयू के कुछ प्रमुख उद्देश्यों मे, सहकार गंगा ग्राम के रूप में नामित मुख्य धारा पर पांच राज्यों के 75 गांवों की पहचान, गंगा के किनारे बसे राज्यों में किसानों, एफपीओ और सहकारी समितियों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और ‘प्रति बूंद अधिक शुद्ध आय’ उत्पन्न करना, बाजार लिंकेज के निर्माण के माध्यम से ब्रांड गंगा के तहत प्राकृतिक खेती/जैविक उत्पाद के विपणन की सुविधा प्रदान करना, वित्तीय विकल्प के माध्यम से लोगों और नदी के सम्पर्क को बढ़ावा देना शामिल है।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव’ की अध्यक्षता की।
यह कार्यक्रम नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे जल शक्ति मंत्रालय में डी/ओ डब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर सचिव श्री पंकज कुमार, एनएमसीजी महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार और पर्यटन मंत्रालय में पर्यटन महानिदेशक श्री गंजी केवी राव की उपस्थिति में आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में अर्थ गंगा अभियान के तहत शुरू की गई विभिन्न पहलों को भी देखा गया, जिसमें जल शक्ति मंत्री द्वारा गंगा बेसिन राज्यों-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की मुख्य धारा पर इस वर्ष के दौरान प्रस्तावित 75 स्थानों में से 26 स्थानों पर अर्थ गंगा के तहत जलज पहल की वर्चुअल शुरूआत शामिल है।
जलज भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से लागू किया जा रहा है। जैव विविधता संरक्षण और गंगा कायाकल्प के लिए डब्ल्यूII द्वारा स्थानीय लोगों के बीच से गंगा प्रहरियों का एक प्रशिक्षित कैडर बनाया गया है। जलज, अभिनव मोबाइल आजीविका केन्द्र, गंगा संरक्षण के साथ कौशल वृद्धि कार्यों को जोड़ने के उद्देश्य से हैं।
जलज को स्थानीय उपज को बढ़ावा देने के माध्यम से आजीविका विविधीकरण के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जाता है और “अर्थ गंगा” के उद्देश्यों के साथ नदी संरक्षण के लिए पारिस्थितिक और आर्थिक क्षेत्रों में हितधारकों की भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है।
इस आयोजन ने अर्थ गंगा अवधारणा के तहत कई नई पहलों की शुरुआत की, जिसे गंगा और उसकी सहायक नदियों को साफ करने के सरकार के प्रमुख कार्यक्रम “नमामि गंगे” के तहत चलाए जा रहे कार्यों को लंबे समय तक चलाने के उद्देश्य से लोगों और नदी को एक दूसरे से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्थापित किया है।
कानपुर में 2019 में पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा समर्थित अर्थ-गंगा अवधारणा को स्थायी नदी कायाकल्प के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। अर्थ गंगा अवधारणा के शीर्ष पर लोगों और नदी को जोड़ना है जिसका उद्देश्य है नदी और लोगों के बीच एक सहयोगपूर्ण संबंध मजबूती से स्थापित करना है।