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एनसीसीएफ युवा तुर्क के हाथों में: विशाल और यशपाल नए चेहरे

आखिरकार लंबे अंतराल के बाद उपभोक्ता सहकारी संस्थाओं की सर्वोच्च संस्था नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन (एनसीसीएफ) का चुनाव बुधवार को संपन्न हुआ। इस चुनाव में विशाल सिंह अध्यक्ष चुने गये वहीं यशपाल सिंह को उपाध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया।

एनसीसीएफ के बोर्ड में दस निर्वाचित निदेशक होते हैं, जिनमें से पांच सीटों के लिए चुनाव दिल्ली स्थित एनसीयूआई मुख्यालय में हुआ। पांच में से चार निदेशक निर्विरोध चुना गये, जिनमें उत्तरी जोन से नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, दक्षिणी जोन से शिवलिंगप्पा केजी, मध्य जोन से यशपाल सिंह यादव और पूर्वी जोन से विशाल सिंह विजयी हुये।

केवल एक सीट यानि पश्चिमी जोन के लिए मतदान हुआ, जहाँ कृभको के निदेशक परेशभाई पटेल और एनसीसीएफ के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह आमने-सामने थे। इस चुनाव में पटेल को 36 वोट मिले जबकि वीरेंद्र सिंह को महज 11 वोट मिले। चुनाव में कुल पात्र मतदाता 60 थे, जिनमें से 47 ने मताधिकार का प्रयोग किया।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष विशाल सिंह स्वर्गीय अजीत सिंह के बेटे और दिग्गज सहकारी नेता तपेश्वर सिंह के पोते हैं। उनके पिता और दादा दोनों अतीत में एनसीसीएफ के अध्यक्ष रहे थे। जूनियर सिंह के अनुयायियों का कहना है कि 90 के दशक के बाद कोई बिहारी एनसीसीएफ का अध्यक्ष नहीं बना। हालांकि विशाल सिंह एनसीयूआई और नेफेड दोनों के बोर्ड में हैं लेकिन किसी राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समिति के अध्यक्ष पहली बार बने हैं। कहा जाता है कि उनके पिता के समर्पित मित्र बिजेंदर सिंह ने उन्हें एनसीसीएफ के अध्यक्ष पद को पाने में काफी मदद की है।

एनसीसीएफ के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष यशपाल भी किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वह कृभको के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव के बेटे हैं। उन्होंने यूपी विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था।

इस मौके पर एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी समेत कई लोग मौजूद थे। पुराने गिले-शिकवे मिटाते हुए बिस्कोमान के चेयरमैन सुनील कुमार सिंह ने भी विशाल सिंह को बिस्कोमान परिवार की ओर से बधाई दी।

एनसीसीएफ बोर्ड में 10 निर्वाचित निदेशकों में से पांच निदेशक राज्य सहकारी उपभोक्ता/वपणन संघों से आते हैं और पांच जिला स्तर की उपभोक्ता सहकारी समितियों से चुने जाते हैं।

इस चुनाव में राज्य सहकारी उपभोक्ता/विपणन संघों से किसी ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया था क्योंकि वे एनसीसीएफ उपनियमों के मुताबिक चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं। चुनाव में शेष पांच सीटों (जिला स्तरीय उपभोक्ता सहकारी समिति) के लिए अंतिम तिथि तक छह उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था।

बता दें कि इस साल जून में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीसीएफ की अंतरिम बोर्ड को चुनाव कराने के निर्देशों दिये थे।

पहले, एनसीसीएफ चुनाव 3 सितंबर 2022 को होना था, लेकिन बाद में चुनाव प्रक्रिया में देरी होने के कारण इसे 28 सितंबर 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

कई कोर्ट केस के चलते एनसीसीएफ लगातार विवादों में रहा है और कुछ सदस्यों की सदस्यता को लेकर उठे सवाल के कारण कई वर्षों तक अपनी वार्षिक आम बैठक का आयोजन करने में भी विफल रहा। लेकिन अब एक उम्मीद जगी है कि निर्वाचित सदस्यों के आने से उपभोक्ता सहकारी आंदोलन के विकास को नई गति मिलेगी।

पाठकों को याद होगा कि एनसीसीएफ का पिछला चुनाव 2015 में हुआ था, लेकिन चुनाव में कुछ अनियमितताओं के चलते मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में चला गया था लेकिन कुछ महीनों बाद मामला सुलझ गया था। बाद में, 2018 में किसी मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने माननीय न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) इंदरमीत कौर कोचर की अध्यक्षता में अंतरिम बोर्ड नियुक्त किया था।

चुनाव की देखरेख के लिए दक्षिणी दिल्ली की जिलाधिकारी मोनिका प्रियदर्शनी को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया। एनसीसीएफ का कारोबार 2300 करोड़ रुपये से अधिक का है और वित्त वर्ष 2021-22 में 23.58 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। पूरे भारत में, एनसीसीएफ की 24 शाखाएं हैं और 152 समितियां इसके सदस्य हैं।

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