इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (आईवाईओएम)-2023 के उत्सव के लिए मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना वाली पहल को बढ़ावा देने के निमित्त नई दिल्ली में कृषि और किसान कल्याण विभाग तथा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
भारत सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र को प्रस्तावित इस ‘‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (आईवाईओएम)-2023″ की पहल को ध्यान में रखते हुए, दोनों संगठन मिलेट्स (मोटे अनाज) आधारित उत्पादों के प्रचार और विपणन के लिए मिलकर काम करेंगे।
आईवाईओएम-2023 पूरे विश्व में मनाया जाएगा। भारत विश्व मानचित्र पर पोषक अनाजों को वापस लाने के लिए कमर कस रहा है। ये संगठन पूरे देश में अधिकतम मूल्य निर्माण और मोटे अनाज आधारित उत्पादों के लिए समर्थन, संगठित प्रचार, बाजार और प्रभावी बाजार संबंध स्थापित करेंगे।
कृषि और किसान कल्याण विभाग और नेफेड कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे मूल्यसंवर्धित मोटे अनाज आधारित उत्पादों के निर्माताओं/प्रोसेसरों को परामर्श सहायता उपलब्ध कराना, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (आईआईएमआर) के पैनल में शामिल स्टार्ट-अप्स सहित अन्य स्टार्ट-अप्स की ऑन-बोर्डिंग, विशेष रूप से मोटे अनाज आधारित उत्पादों की एक श्रृंखला विकसित करने के लिए एफपीओ का गठन, नेफेड बाजार भंडारण और नेफेड से जुड़े अन्य संस्थानों के साथ-साथ दिल्ली और एनसीआर के विभिन्न स्थानों पर मोटे अनाज आधारित वेंडिंग मशीनों की स्थापना के माध्यम से मोटे अनाज आधारित उत्पादों को बढ़ावा देना, विपणन करना तथा मोटे अनाज आधारित वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में सहयोग और सहायता प्रदान करेंगे, पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
पाठकों को याद होगा कि हाल ही में नेफेड ने एनसीयूआई मुख्यालय में अपनी वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया था। इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने घोषणा की कि 2021-22 वित्तीय वर्ष में नेफेड ने 139.27 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।
नेफेड के व्यावसायिक प्रदर्शन पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट साझा करते हुए, एमडी ने बताया कि नेफेड ने वित्तीय वर्ष के दौरान 342.38 करोड़ रुपये के परिचालन लाभ के साथ 19,752.22 करोड़ रुपये का कारोबार किया। 2021-22 वर्ष के दौरान, पीएसएस के तहत 7,072.21 करोड़ रुपये मूल्य के 12.62 एलएमटी तिलहन और दलहन की खरीद की गई, जिससे लगभग 15 लाख किसानों को योजना का लाभ मिला।