प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी है। इसके जरिये बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संशोधन विधेयक सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सूचना अधिकारी, लोकपाल आदि की स्थापना में मदद करेगा।
चुनाव प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और समयबद्ध तरीके से हो। इससे कदाचार के मामलों को कम करने में मदद मिलेगी। वहीं सहकारी लोकपाल सदस्यों की शिकायतों का निवारण करेगा और सहकारी सूचना अधिकारी सदस्यों को समय पर सूचना उपलब्ध कराकर पारदर्शिता लाने में मदद करेगा।
इसके अलावा, समानता को बढ़ावा देने के लिए, बहु-राज्य सहकारी समितियों के बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के प्रतिनिधित्व से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया गया है।
व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए, बैंकिंग, प्रबंधन, सहकारी प्रबंधन, वित्त समेत अन्य क्षेत्र में अनुभवी लोगों को बहु राज्य सहकारी समिति में कोऑप्ट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है।
गैर-मतदान शेयर का प्रावधान बहु-राज्य सहकारी समितियों को अपेक्षित पूंजी जुटाने में मदद करेगा। इसके अलावा, नव प्रस्तावित पुनर्वास, पुनर्निर्माण और विकास कोष संकटग्रस्त बहु-राज्य सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा।
विवेकपूर्ण मानदंडों को निर्धारित करने का प्रावधान वित्तीय अनुशासन लाएगा। ऑडिटिंग तंत्र से संबंधित संशोधनों से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन, सहकारी आंदोलन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जुलाई, 2021 में नए सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद, हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया और इसे संविधान के भाग IXB के अनुरूप लाने और देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए मौजूदा अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय लिया गया।
सरकार का मानना है कि आज, भारत भर में फैली 1500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां, स्वयं सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य कर रही हैं।
बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 को स्थापित सहकारी सिद्धांतों के अनुरूप बहु-राज्य सहकारी समितियों के लोकतांत्रिक और स्वायत्त के लिए अधिनियमित किया गया था। अधिनियम को 97वें संवैधानिक संशोधन के अनुरूप लाने और बहु-राज्य सहकारी समितियों के क्षेत्र में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने की आवश्यकता महसूस की गई, सूत्रों ने जानकारी दी।