गंगा बेसिन में किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सहकार भारती ने नमामि गंगे कार्यक्रम और अर्थ गंगा के तहत दिल्ली और हरियाणा में कार्यशालाओं का आयोजन किया।
गांधी जयंती के अवसर पर दिल्ली के वजीराबाद स्थित सुर यमुना घाट पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सहकार भारती से जुड़े लगभग 100 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
दूसरा कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें 200 से अधिक किसानों ने भाग लिया। इसका आयोजन ब्यानपुर गांव, सोनीपत, हरियाणा में किया गया था।
एनएमसीजी के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने दोनों कार्यक्रमों की अध्यक्षता की। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, एनएमसीजी के डीजी जी. अशोक कुमार ने देश में पानी की कमी, विशेष रूप से भूजल में गिरावट पर चिंता जताई। उन्होंने प्राकृतिक खेती पर जोर दिया, जिसकी चर्चा माननीय प्रधानमंत्री ने कानपुर में 2019 में हुई अर्थ गंगा की पहली बैठक में की थी, जो पानी की कमी और जल प्रदूषण को दूर करने के उपाय के रूप में अंतत: गंगा और उसकी सहायक नदियों के कायाकल्प में योगदान देती है।
कुमार ने कहा, ‘भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1960 के दशक में हरित क्रांति हुई थी जिसमें किसानों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान था और देश विशेष रूप से हरियाणा और पंजाब के किसानों का ऋणी है, जिन्होंने सबको भोजन सुनिश्चित किया।’ उन्होंने आगे कहा कि विरोध के बावजूद आसपास के ट्यूबवेल और बोरवेल का उपयोग बढ़ता गया और कई कारणों से नहर से सिंचाई की तुलना में भूजल निकासी को प्राथमिकता दी गई।
उन्होंने आगे कहा कि भूजल निकासी और प्रौद्योगिकी व कीटनाशकों के व्यापक इस्तेमाल से पानी की कमी हुई और प्रदूषण बढ़ा। सबसे महत्वपूर्ण बात कि हम प्रकृति से दूर होते गए।
‘मित्र माने जाने वाले बैक्टीरिया नष्ट हो गए और कीटनाशकों के उपयोग के कारण केंचुए और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आई, जिससे कई तरह के रोग बढ़े। ऐसे में माननीय प्रधानमंत्री प्राकृतिक खेती और जल प्रबंधन व खाद्यान्न की खेती के लिए हमारे पूर्वजों के तरीके अपनाने पर जोर दे रहे हैं”, एनएमसीजी के डीजी ने कहा।
उन्होंने लोगों को नमामि गंगे के सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया, जिससे गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और नदी की निर्मलता व अविरलता के साथ जैव विविधता बेहतर हो रही है। अर्थ गंगा की अवधारणा के बारे में बताते हुए श्री कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती अर्थ गंगा के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है और इसलिए एनएमसीजी ने गंगा बेसिन में किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और संवाद करने के लिए सहकार भारती के साथ हाथ मिलाया है। इसके साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को प्राकृतिक खेती के माध्यम से प्रति बूंद अधिक आय करने की जानकारी दी जा रही है।
पाठकों को याद होगा कि 16 अगस्त 2022 को केंद्रीय मंत्री माननीय श्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में एनएमसीजी और सहकार भारती के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य अर्थ गंगा के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में जनभागीदारी, स्थानीय सहकारी समितियों के निर्माण और उनके सशक्तीकरण के द्वारा एक सतत और व्यवहार्य आर्थिक विकास के दृष्टिकोण को हासिल करना है।अर्थ गंगा के तहत ‘अर्थशास्त्र के पुल’ के माध्यम से लोगों को गंगा से जोड़ना है।
एमओयू के प्रमुख उद्देश्यों में ‘सहकार गंगा ग्राम’ स्थापित करने के लिए पांच राज्यों में 75 गावों की पहचान, किसानों व गंगा के किनारे वाले राज्यों में एफपीओ और सहकारी समितियों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और ‘प्रति बूंद अधिक आय’ उत्पन्न करना, बाजार को जोड़कर गंगा ब्रांड के तहत प्राकृतिक खेती/जैविक उत्पादों के विपणन की सुविधा प्रदान करना, आर्थिक सेतु के माध्यम से लोगों और नदी के बीच संपर्क को बढ़ावा देना शामिल है।