मध्य प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन के सहयोग से केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मध्य प्रदेश के मुरैना में आयोजित तीन दिवसीय मेगा कृषि मेले, प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक कृषि प्रणाली किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। जिस प्रकार वनों में प्राकृतिक रूप से पौधे उगते हैं, उसी प्रकार किसान खेतों में गौ आधारित प्राकृतिक विधि से खेती कर उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अपनी भूमि की उर्वरता भी बढ़ा सकते हैं।
कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एवं स्थानीय सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, मध्यप्रदेश के राज्य मंत्री भरत सिंह कुशवाहा, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक निरूपम मेहरोत्रा और कृषि वैज्ञानिक मौजूद थे, जबकि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री तोमर ने क्षेत्र के आदिवासियों के विकास के लिए पहाड़गढ़ में नाबार्ड की परियोजना का शुभारंभ किया साथ ही मुरैना में जैविक बीज फार्म के लिए हाईटेक नर्सरी और टिश्यू कल्चर लैब का शिलान्यास किया।
विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसानों के कल्याण और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कई प्रमुख पहल की गई हैं। सरकार ने विशेष रूप से छोटी जोत वाले किसानों के लिए 10,000 नए एफपीओ के गठन सहित कई उपाय किए हैं।
तीन दिवसीय मेगा कृषि मेले के दौरान किसानों ने दिन भर विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों का लाभ उठाया। कल भी प्रशिक्षण-सत्र होंगे। केंद्रीय मंत्री तोमर ने मुख्य कार्यक्रम में आदिवासियों के विकास के लिए 3.75 करोड़ रुपये की लागत से नाबार्ड की एक परियोजना का उद्घाटन किया और आदिवासी परिवारों को टूलकिट वितरित किए।
महिलाओं के विकास हेतु स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम, मशरूम की खेती, मधुमक्खी पालन, पापड़ बनाना, स्वच्छता पर जागरूकता कार्यक्रम और बैंक लिंकेज आदि गतिविधियों जैसे आय सृजन गतिविधियों को मंजूरी दी गई है। स्वास्थ्य शिविरों, पशुधन स्वास्थ्य शिविरों, सब्जी बागानों और एफपीओ के गठन आदि के लिए भी स्वीकृति दी गई है।
इसका उद्देश्य आदिवासी परिवारों का एकीकृत विकास और क्षेत्र की क्षमताओं की भागीदारी एवं उपयोग और आदिवासियों की जरूरतों के आधार पर उनकी स्थायी आय सृजन के लिए एक नया मॉडल तैयार करना है। ग्राम स्तर पर जनजातीय संस्थानों का निर्माण करके क्षमता निर्माण, जो समुदायों के लिए नीति निर्माण में भाग ले सकते हैं और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं, भी इसके उद्देश्यों में शामिल हैं।
मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय को गडोरा, जखौना, रिठौरा खुर्द और गोरखा गांवों में 885.34 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। एमआईडीएच के तहत ढाई करोड़ रुपये की लागत से टिश्यू कल्चर लैब स्थापित करने की स्वीकृति दी गई है।
मुरैना में आयोजित तीन दिवसीय मेगा कृषि मेला एवं प्रदर्शनी के दौरान विभिन्न 143 स्टॉल लगाए गए थे। प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को उन्नत खेती और कृषि नवाचार के लिए प्रेरित किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत राष्ट्रीय संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्राकृतिक खेती, नैनो यूरिया, पशु पोषक तत्व, मत्स्य पालन, जल संरक्षण, सूक्ष्म सिंचाई, फसल बीमा योजना और कृषि स्टार्टअप सहित विषयों पर स्टाल लगाए गए।