नेफकॉब के निदेशक जी रामा मूर्ति का लंबी बीमारी के बाद सोमवार सुबह निधन हो गया। कई दिनों से बीमार चल रहे 82 वर्षीय मूर्ती ने कामिनेनी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
जी रामा मूर्ति कई दशकों तक सहकारिता आंदोलन से जुड़े रहे और लंबे समय तक नेफकॉब में निदेशक रहे। वह भावना ऋषि सहकारी शहरी बैंक के संस्थापक और अध्यक्ष भी थे।
देशभर के सहकारी नेताओं ने मूर्ति के निधन पर शोक व्यक्त किया। सहकार भारती के संस्थापक सदस्य सतीश मराठे ने फेसबुक पर लिखा, “सहकार भारती श्री जी राम मूर्ति के निधन पर शोक व्यक्त करता है। सहकारी बैंकिंग क्षेत्र ने एक अग्रगामी नेता खो दिया है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”
नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने लिखा, “हमने एक सच्चा सहयोगी खो दिया है। ज्ञानी व्यक्ति। नेफकॉब और मेरे लिए भारी क्षति क्योंकि वह मेरे मित्र और मार्गदर्शक थे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।”
आंध्र प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव अर्बन बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज फेडरेशन ने मूर्ति के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए अपने शोक संदेश में कहा, “हम स्वर्गीय श्री जी रामामूर्ति के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम तेलंगाना कोऑपरेटिव अर्बन बैंक फेडरेशन के अध्यक्ष और निदेशकों के प्रति भी अपना दुख व्यक्त करते हैं। श्री मूर्ति एक अनुभवी सहकारी नेता थे। उनका जाना सहकारिता क्षेत्र के लिए बड़ा झटका है।”
बताते चले कि रामामूर्ति आंध्र प्रदेश राज्य सहकारी शहरी बैंक संघ लिमिटेड (राज्य के विभाजन तक) के अध्यक्ष और तेलंगाना राज्य सहकारी शहरी बैंक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष थे। वह सहकारी शहरी बैंकों पर राज्य सरकार की विशेषज्ञ समिति के सदस्य थे।
उनकी शैक्षिक योग्यताएं, अर्थशास्त्र में एम.ए., राजनीति विज्ञान में एम.ए., कानून में स्नातक (बी, एल) आदि हैं।
मूर्ति ने 21 वर्षों तक आंध्र प्रदेश सरकार को अपनी सेवा दी और कनिष्ठ लेखा अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए। मूर्ति ने कई स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों का भी नेतृत्व किया। उन्होंने आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में भी काम किया था। उन्हें सहकारी बैंकिंग में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी नवाजा गया था।