पूर्व में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह सहकारी सम्मेलनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने पर जोर देते रहे हैं और उनके विचार पर काम करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी डेटाबेस तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की ओर से किये गये एक ट्वीट के मुताबिक, “मंत्रालय दो चरणों में सहकारी समितियों का डेटा एकत्र करने की योजना बना रहा है।”
सहकारिता मंत्रालय ने डेटा संग्रह के लिए क्षेत्र-विशिष्ट पैरामीटरों की पहचान करने के लिए हितधारकों के साथ कार्यशालाओं/परामर्शो की एक श्रृंखला आयोजित की। इन कार्यशालाओं/परामर्शो में प्राप्त इनपुट के आधार पर क्षेत्र विशिष्ट डेटा संग्रह टेम्पलेट तैयार किए गए हैं।
प्रथम चरण में, सहकारी समितियों की कार्यात्मक स्थिति पर बुनियादी डेटा एकत्र किया जायेगा। प्रथम चरण का कार्य दिसंबर, 2022 तक पूरा होने की संभावना है।
दूसरे चरण का कार्य पहले चरण के परिणामों के विश्लेषण करने के बाद 1 फरवरी, 2023 तक शुरू करने की योजना है।
दूसरे चरण में सहकारी समितियों के संचालन, आईसीटी के उपयोग, रोजगार, आर्थिक गतिविधियों, राजस्व और व्यय संपत्ति और देनदारियों आदि से संबंधित मापदंडों पर विस्तृत डेटा सहकारी समितियों से ही एकत्र किया जाएगा।
दोनों चरणों का डेटा वेब-आधारित सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन /वेब फॉर्म के माध्यम से एकत्र किया जाएगा।
देश में सहकारिता आंदोलन की पहुंच और विस्तार को बढ़ाने के लिए और उचित नीतिगत हस्तक्षेपों के लिए सहकारिता मंत्रालय ने राज्यों, केंद्रों, राष्ट्रीय सहकारी संघों और अन्य सभी हितधारकों के परामर्श से एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की है। इसकी परिकल्पना नीति निर्माण की सुविधा, शासन में सुधार और पारदर्शिता में सुधार के लिए की गई है।
पाठकों को याद होगा कि इससे पहले अमरेली में एक समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा था कि डेटाबेस के माध्यम से केंद्र सरकार सहकारी समितियों के वित्तीय स्वास्थ्य की देखरेख करेगी”।