उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में स्थित इफको की आंवला इकाई में देश का दूसरा नैनो यूरिया प्लांट 15 दिसंबर तक काम करना शुरू कर देगा। वर्तमान में इंजीनियरों की एक टीम प्लांट को अंतिम रूप देने में व्यस्त है।
इफको की आंवला इकाई के प्रमुख राकेश पुरी ने बताया कि शुरुआत में दो रिएक्टर सक्रिय होंगे, जिससे कुल क्षमता का लगभग 30 प्रतिशत उत्पादन होगा। उन्होंने आगे कहा, “जैसे-जैसे चीजें व्यवस्थित होती जाएंगी वैसे-वैसे दैनिक क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा।”
इस बीच भारतीय सहकारिता संवाददाताओं की एक टीम ने पिछले सप्ताह इफको की आंवला इकाई में बनने जा रहे नैनो यूरिया प्लांट का दौरा कर पाया कि सभी जरूरी मशीनें आ चुकी हैं और उन्हें स्थापित किया जा रहा है।
एक ओर जहां रिएक्टर इंस्टॉल किए जा रहे हैं वहीं नैनो यूरिया लिक्विड की एक स्वचालित बॉटलिंग सबयूनिट बनकर तैयार है। बड़े-बड़े रैक जहां रोबोट नैनो यूरिया के प्रत्येक बॉक्स में 24 बोतलें रखेंगे, उनको भी स्थापित किया गया है। यहां तक कि संचालन की देखरेख और नियंत्रण के लिए मास्टर कंट्रोल रूम भी लगभग बनकर तैयार है।
इफको की आंवला इकाई के प्रमुख पुरी ने हमें नैनो यूरिया प्लांट का दौरा कराया, जो खुद दिन में दो बार साइट का दौरा करते हैं और हर एक गतिविधि पर बारीकी से नजर बनाए हुये हैं। भारतीय सहकारिता संवाददाता से बातचीत में संयुक्त जीएम, प्रदीप शर्मा और मुकेश खेतान ने पुरी के नेतृत्व की सराहना की।
पुरी ने बताया कि पारंपरिक यूरिया संयंत्र के लिए इफको आंवला लगभग 600 एकड़ समर्पित भूमि का उपयोग करता है, जबकि इसके रिएक्टर, बॉटलिंग और भंडारण सहित पूरा नैनो सेटअप केवल नौ एकड़ भूमि तक ही सीमित है। यह इकाई प्रतिदिन 150 लाख बैग पारंपरिक यूरिया का उत्पादन करती है लेकिन नौ एकड़ में फैले नैनो यूरिया संयंत्र में प्रति दिन 200 लाख नैनो यूरिया की बोतलों का उत्पादन होगा। इसका मतलब भूमि और कच्चे माल की कम आवश्यकता के साथ-साथ नैनो संयंत्र 50 हजार बैग/बोतलों का ज्यादा उत्पादन करेगा”, उन्होंने बताया।
इस मौके पर इफको एमडी डॉ यू.एस.अवस्थी की दूरदृष्टि को सलाम करते हुए पुरी ने कहा कि नैनो यूरिया में पारंपरिक यूरिया की तुलना में कई फायदे हैं। पुरी ने व्यक्तिगत अनुभव का हवाला देते हुए कहा, पानी को बचाने और वायुमंडलीय प्रदूषण को रोकने के अलावा, नैनो कण पौधे को इतना मजबूत करता है कि ये आंधी को झेल सकता है।
पुरी ने विस्तार से यह भी बताया कि देश में नैनो यूरिया की स्वीकृति से सरकार पर सब्सिडी का भारी बोझ कैसे खत्म होगा। गौरतलब है कि इफको आठ नैनो यूरिया प्लांट लगाने की योजना बना रही है और कलोल के बाद आंवला दूसरा नैनो संयंत्र है।
इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी के प्रशंसक पुरी ने अतीत में इफको के कर्मचारियों के लिए एमडी की चिंता और उनके द्वारा की गयी मदद के कई किस्से सुनाए। एमडी के नक्शेकदम पर चलते हुए, इफको आंवला ने भी पड़ोसी गांवों के साथ मधुर संबंध की शुरुआत की है।