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नेशनल कोऑपरेटिव फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने पिछले सप्ताह हाईब्रिड मोड में आयोजित एक बैठक में भाग लिया। इस बैठक में राष्ट्रीय सहकारिता नीति दस्तावेज का प्रारूप तैयार करने पर विचार-मंथन किया गया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने की।
बैठक का आयोजन एनसीयूआई मुख्यालय में किया गया था, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीपभाई संघानी, नेफस्कॉब के अध्यक्ष के रविंदर राव, वेम्निकॉम की निदेशक हेमा यादव, कृभको के प्रबंध निदेशक राजन चौधरी, नेफेड के एसके वर्मा, इफको से संतोष शुक्ला, एनसीडीएफआई के प्रबंध निदेशक किशोर सुपेकर, एनसीसीएफ के एमडी मनोज सेमवाल समेत अन्य राष्ट्रीय सहकारी संघों के प्रतिनिधियों ने वर्चुअली बैठक में भाग लिया।
वहीं एनएलसीएफ के वी के चौहान, नेशनल कोऑपरेटिव हाउसिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के सीई एन एस मेहरा समेत अन्य लोग एनसीयूआई मुख्यालय में मौजूद थे।
इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रीय संघों के प्रतिनिधियों ने नई राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए इनपुट प्रस्तुत किया। उनमें से कई प्रतिभागियों ने कुछ दिनों में लिखित रूप में अपनी प्रतिक्रिया देने का समय मांग है।
इस दौरान एक प्रतिनिधि ने मांग की कि आवास सहकारी समितियों का काम करने का तरीका अन्य सहकारी समितियों से काफी अलग है, इसलिए आवास सहकारी समितियों के सुचारू कामकाज के लिए एक विशेष कानून की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवास सहकारी समितियों को राज्य सरकारों द्वारा स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क से छूट दी जा सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि एनसीडीसी को हाउसिंग को-ऑप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना भी शुरू करना चाहिए। राज्य सरकारों को हाउसिंग को-ऑप्स को सीए द्वारा ऑडिट कराने की अनुमति देनी चाहिए।
एक अन्य प्रतिभागी ने मांग की कि जमीनी स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक श्रमिक सहकारी समितियों के पुनरोद्धार के लिए दीर्घकालिक नीति की आवश्यकता है।