वर्ष 2021-22 में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार हुआ, जिसमें पूंजीगत बफ़र्स में वृद्धि, सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) अनुपात में गिरावट और बेहतर लाभप्रदता संकेतक शामिल हैं। इसका खुलासा आरबीआई द्वारा बुधवार को जारी ‘भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति एवं प्रगति संबंधी रिपोर्ट 2021-22’ पर प्रकाशित रिपोर्ट में किया गया।
अल्पावधि सहकारी समितियों में, राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) दोनों के तुलन-पत्रों में, पिछले वर्ष की मंदी के बाद, वर्ष 2020-21 में तेजी आई। यह उल्लेखनीय है कि डीसीसीबी की लाभप्रदता में सुधार हुआ, रिपोर्ट के मुताबिक।
31 मार्च 2022 तक, शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) का कुल जमा और अग्रिम 8.40 लाख करोड़ रुपये रहा। यूसीबी का जमा 5.26 लाख करोड़ रुपये रहा वहीं अग्रिम 3.14 लाख करोड़ रुपये रहा। लगभग दो दशकों में पहली बार 2021-22 के दौरान जमाराशियों में कमी आई है, जिससे यूसीबी की बैलेंस शीट में गिरावट दर्ज की गई। 2021-22 में जमा राशि 5.29 लाख करोड़ रुपए थी।
सभी यूसीबी (अनुसूचित यूसीबी और गैर-अनुसूचित यूसीबी) का कर पश्चात शुद्ध लाभ 1558 करोड़ रुपये (2020-21) से बढ़कर 2881 करोड़ रुपये (2021-22) हो गया।
आरबीआई ने 2021-22 में 145 सहकारी बैंकों पर 12.10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जबकि निजी क्षेत्र के 16 बैंकों पर आरबीआई ने 29.39 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका।
2021-22 के दौरान, 10 यूसीबी के लाइसेंस रद्द किये गए, जिससे 2015-16 से यह संख्या बढ़कर 54 हो गई। अनुसूचित यूसीबी (एसयूसीबी) से संबंधित एक समामेलन को छोड़कर, अन्य विलय और लाइसेंस निरस्तीकरण गैर-अनुसूचित बैंकों से संबधित थे, जिससे वर्ष 2020-21 में रही उनकी संख्या 1,481 से गिरकर वर्ष 2021- 22 में 1,462 हो गई।
मार्च 2022 के अंत में, 94 प्रतिशत यूसीबी ने जोखिम-भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) के लिए पूंजी को 9 प्रतिशत के विनियामकीय न्यूनतम से ऊपर बनाए रखा।
2021-22 में, शहरी सहकारी बैंकों का सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए अनुपात क्रमशः 9.7 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत रहा। इससे पहले यानी 2020-21 में यह 12.1 (ग्रॉस एनपीए) और 5.8 (नेट एनपीए) था।
2021-22 के दौरान नौ गैर-अनुसूचित यूसीबी (एनएसयूसीबी) का वित्तीय रूप से मजबूत बैंकों के साथ स्वैच्छिक विलय कर दिया गया। वर्ष 2004-05 के बाद से, इस क्षेत्र में 145 विलय किए गये हैं, जिनमें से सर्वधिक विलय महाराष्ट्र में हुए हैं, इसके बाद गुजरात और आंध्र प्रदेश में हुए हैं।
2021-22 के दौरान, विभिन्न माध्यमों के अतंर्गत निगम द्वारा 8,516.6 करोड़ 23 रुपये के संकलित दावों का निपटान किया गया। इसमें डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के खंड धारा 17 (1) के तहत 15 शहकारी सहकारी बैंकों के संबंध में राशि 1,225.0 करोड़ रुपये के मुख्य दावे तथा पूरक दावे शामिल हैं तथा पूर्व पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक लिमिटेड (पीएमसीबीएल) के जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए यूनिटी लघु वित्त बैंक (यूएसएफ़बी) को राशि 3791.6 करोड़ दिये गए।
31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार इसमें सभी समावेशी दिशानिर्देश (एआईडी) के अतंर्गत 22 शहरी सहकारी बैंकों की 3457.4 करोड़ की राशि के दावे भी शामिल हैं।
2021-22 में 1514 यूसीबी रहे जिनमें अनुसूचित और गैर-अनुसूचित सहकारी बैंक क्रमशः 52 और 1,462 शामिल हैं।