भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर के एक डिजिटल एक्सटेंशन प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी ढांचे के तहत नई दिल्ली में डिजिटल ग्रीन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म क्यूरेटेड बहु-प्रारूप बहु-भाषी सामग्री की एक डिजिटल लाइब्रेरी उपलब्ध कराएगा। यह ऐसा प्लेटफॉर्म होगा, जो एक्सटेंशन वर्कर्स को क्यूरेट की गई सामग्री को समय पर किसानों तक पहुंचाने तथा वितरित करने में मदद करेगा।
इसके अलावा, यह प्रमाणित ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, पशुधन और ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए एक्सटेंशन वर्कर्स के विशाल नेटवर्क का कौशल विकास करने में सहायता प्रदान करेगा।
इस अवसर पर भारत सरकार के कृषि एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म सरकार द्वारा बनाए जा रहे डिजिटल कृषि इकोसिस्टम की मजबूत नींव ही किसानों को जोड़कर हमारी विस्तार प्रणाली को और अधिक कुशल एवं प्रभावी बनाने में मदद करेगा।
इस एक्सटेंशन प्रणाली की डिजिटल क्षमता किसानों को डिजिटल कृषि का लाभ उठाने में सहायता करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है और यह हाल ही में केंद्रीय बजट में घोषित कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के एक घटक के रूप में काम करेगी।
भारत में कृषि, आजीविका और संबद्ध क्षेत्रों में 200,000 से अधिक एक्सटेंशन वर्कर्स हैं। यह महत्वाकांक्षी पहल कृषि, बागवानी, पशुधन, डेयरी, मत्स्य पालन और ग्रामीण आजीविका विभागों के आउटरीच कार्यक्रमों को विकेंद्रीकृत सामग्री निर्माण तथा लक्षित प्रसार के माध्यम से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के तहत आगे ले जाने का रास्ता तय करेगी। यह प्लेटफॉर्म छह महीने के भीतर लॉन्च किया जाना है।
इस प्लेटफॉर्म में पोर्टल तथा देश भर के पूरे कृषक समुदाय की सेवा करने की क्षमता और नए एवं उच्च मूल्य प्रस्ताव के साथ एगटेक व अन्य बाजार अभिकर्ताओं को उत्प्रेरित करने की क्षमताएं होंगी।
यह समझौता डिजिटल ग्रीन के साथ हस्ताक्षरित किया गया है, जो एक पुरस्कार विजेता सामाजिक उद्यम है। यह छोटे व सीमांत किसानों को उनकी उत्पादकता एवं आय बढ़ाने, उनकी एजेंसी को मजबूत करने और सामुदायिक स्तर के लचीलेपन का निर्माण करने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का लाभ उठा रहा है।
डिजिटल ग्रीन, टेक्नोक्रेट और सामाजिक विकास के प्रति उत्साही रिकिन गांधी द्वारा स्थापित किया गया है। यह बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में राज्य सरकारों के साथ काम कर रहा है तथा 25 लाख से अधिक किसानों के लिए सेवारत है और इसने 4000 से अधिक फ्रंट लाइन वर्कर्स की क्षमता में वृद्धि की है।
रिकिन गांधी के अनुसार, प्रौद्योगिकी का तब तक कोई मूल्य नहीं हो सकता है जब तक कि यह अंतिम मील के किसान के जीवन में सकारात्मक बदलाव न उत्पन्न करे। रिकिन गांधी ने भारतीय कृषि प्रणाली को भविष्य हेतु तैयार करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि हम कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ साझेदारी करके सम्मानित व गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और हम अपने छोटे तथा सीमांत किसानों को फलने-फूलने एवं उन्हें प्रस्तावक बनाने में एक प्रमुख हितधारक की भूमिका निभा रहे हैं।
रिकिन गांधी ने कहा कि परिकल्पित प्लेटफॉर्म भारत में कृषि क्षेत्र के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक मंच के रूप में उभरने के लिए राष्ट्रीय प्रणालियों में योगदान देगा और सहायक के तौर पर कार्यान्वित होगा।