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मेहता ने प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के मुद्दे पर शाह से लगाई गुहार

नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह शनिवार को केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।

डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के दौरान नेफकॉब प्रतिनिधिमंडल ने प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल) के मुद्दे पर शाह का ध्यान आकर्षित किया। यह मुद्दा विशेष रूप से उन अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है, जो टियर 2 और टियर 3 श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

बैठक के तुरंत बाद भारतीय सहकारिता से बात करते हुए, नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा, “माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े कई मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।”

“हमने बैठक में आरबीआई द्वारा अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को जारी नोटिस से जुड़ा मामला उनके समक्ष रखा। हमने मंत्री को यह समझाने की कोशिश की कि सिडबी के इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश के मुद्दे पर यूसीबी कितने तनाव में हैं”, मेहता ने कहा।

इस मौके पर मेहता के अलावा, नेफकॉब के पूर्व सीईओ डी कृष्णा और सीई योगेश शर्मा भी शामिल थे। नेफकॉब टीम ने मंत्री से अनुरोध किया कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों पर स्मॉल फाइनेंस बैंकों के लगने वाले नियमों से छुटकारा दिलाने में मदद करें।

मेहता ने कहा, “वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर यूसीबी को पीएसएल लक्ष्य दिया जाए। इसे मौजूदा 60 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक कम किया जाए। केंद्रीय मंत्री ने हमारी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुना और मुद्दों पर हमारी राय ली। हमें उम्मीद है कि देर-सबेर कुछ अच्छी खबर मिलेगी”, मेहता ने कहा।

बता दें कि गुजरात के रहने वाले मेहता, ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार समेत अन्य लोगों से भी मुलाकात की और पीएसएल समेत अन्य मुद्दों को हल करने में उनका समर्थन मांगा।

भारतीय सहकारिता को मिली जानकारी के अनुसार, “2020-21 में, महाराष्ट्र के 22 यूसीबी को आरबीआई से नोटिस मिला। उक्त वर्ष में यह बैंक आरबीआई द्वारा दिये गये पीएसएल लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रहे। यह राशि 2000 करोड़ रुपये से अधिक है।

सहकारी बैंकिंग विशेषज्ञों में से एक ने कहा, “कई यूसीबी के पास सिडबी के इन इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में इतना बड़ा फंड निवेश करने के लिए पर्याप्त तरलता नहीं है।”

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