“वर्तमान में, राज्यों से 54,752 पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने के प्रस्ताव प्राप्त हुआ है और 201.18 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी की राशि हार्डवेयर की खरीद, लीगेसी डेटा के डिजिटलीकरण एवं सहयोग तंत्र स्थापित करने के लिए जारी की गई है। यह बात केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
उन्होंने कहा, “पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से विभिन्न लाभ प्राप्त होंगे जैसे उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि होगी, ऋणों का त्वरित संवितरण होगा, लेनदेन दरों में कमी आएगी, भुगतानों के असंतुलन में कमी आएगी, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों व राज्य सहकारी बैंकों के साथ निर्बाध लेखांकन होगा तथा पारदर्शिता में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा, “कॉमन एकाउंटिंग सिस्टम (सीएएस) और मैनेजमेंट सूचना सिस्टम (एमआईएस) के कार्यान्वयन से पैक्स अपने कार्यों को ऑनलाइन कर सकेंगे और अपने विभिन्न कार्यकलापों के लिए जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों व राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड द्वारा पुनर्वित्तीयन/ऋण प्राप्त कर सकेंगे।”
देश में करीब 13 करोड़ किसान सदस्य आधार के साथ लगभग 1 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) / लार्ज एरिया मल्टी पर्पज समितियां हैं। 2516 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय परिव्यय से देश भ में 63,000 कार्यात्मक पैक्स/लैमप्स के कम्प्यूटरीकरण की एक केंद्रीय प्रायोजित परियोजना कार्यान्वयनाधीन है।