को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटियों को बड़ी राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सहकारी क्रेडिट समितियां बैंक नहीं मानी जाएंगी और इन समितियों को आयकर से छूट मिलती रहेगी।
यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रिंसिपल कमिश्नर इनकम टैक्स, मुंबई की अपील को खारिज करते हुए सुनाया गया। कोर्ट ने कहा, सहकारी क्रेडिट समितियों को धारा 80P (2) के अंतर्गत आयकर से यह छूट प्राप्त है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी को साझा करते हुए शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सहकारी समितियों के शीर्ष निकाय-नेफकॉब ने लिखा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंसिपल कमिश्नर इनकम टैक्स, मुंबई बनाम अन्नासाहेब पाटिल मथाड़ी कामगार सहकारी पटपढ़ी लिमिटेड (सिविल अपील संख्या 8719/2022) के मामले में एक निर्णय पारित किया है। जिसमें कोर्ट ने पुष्टि करते हुए कहा कि सहकारी समितियां आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80P(2) के तहत आयकर कटौती के लिए पात्र हैं।
इस बीच, भारतीय सहकारिता के साथ बातचीत में नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक फैसला है। चूंकि, पिछले कई वर्षों से हम इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद हम राहत की सांस ले रहे हैं।”
“आयकर कटौती से संबंधित कई मामले देश की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। यह फैसला देश की सभी क्रेडिट को-ऑप्स पर लागू होगा।”
अपनी प्रतिक्रिया में, महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटीज फेडरेशन के अध्यक्ष काका कोयटे ने कहा, “हम इस फैसले का स्वागत करते है। विभिन्न अदालतों में आयकर कटौती से संबंधित कई अदालती मामले लंबित हैं लेकिन अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सभी क्रेडिट सहकारी समितियों पर लागू होगा।”
उन्होंने कहा, “कई मौकों पर, आयकर अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क करने के बाद, हमें राहत मिली है, लेकिन अब हमें प्राधिकरण का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ेगा।”
यहां तक कि सहकारिता मंत्रालय ने भी अपने ट्विटर वॉल के माध्यम से समाचार साझा करने में कोई समय नहीं गंवाया।
गौरतलब है कि सहकार भारती, एनसीयूआई और नेफकॉब ने पूर्व में इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों को कई पत्र भी लिखे थे।