पश्चिम बंगाल के कोलकाता में गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती के मौके पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि टैगोर ने सहकारिता के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा योगदान दिया।
उन्होंने कहा, जब गुरूदेव को 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला तो उन्होंने उस पुरस्कार की राशि का कृषि सहकारिता बैंक में निवेश करके अपने पुश्तैनी गांव पाटीसर में सहकारिता बैंक की स्थापना की।
शाह ने कहा कि गुरूदेव के जीवन पर पिता, परिवार और हिंदू परंपराओं का बहुत प्रभाव देखने को मिला। गुरूदेव ने अपनी मातृभाषा बांग्ला की शिक्षा पर बहुत बल दिया और उनकी हर रचना में भारतीय दर्शन व विचार पर बल साफ दिखाई देता है।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि 162वीं रविन्द्र जयंती ना केवल बंगाल या भारत बल्कि पूरे विश्व में मुक्त विचार और कला का सम्मान करने वाले लोगों के लिए एक बहुत बड़ा दिन है।
उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे व्यक्ति की जयंती पर एकत्रित हुए हैं जिनके लिए महामानव शब्द छोटा पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर सच्चे अर्थों में विश्व मानव थे और केवल देश या कला के क्षेत्र में नहीं बल्कि विश्व के अनेक क्षेत्रों में उनका योगदान बहुत बड़ा था। कवि गुरू का जीवन अनगिनत क्षेत्रों में योगदान से भरा हुआ है और वे सच्चे अर्थों में बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
अमित शाह ने कहा कि गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने हमेशा मातृभाषा में शिक्षा पर बहुत बल दिया। गुरूदेव का मानना था कि जो बच्चा अपनी मातृभाषा में नहीं बोल सकता उसकी सोचने, विचारने और अनुसंधान करने की शक्तियों को कुंठित हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि गुरूदेव के विचार से प्रेरणा लेकर ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में लाई गई नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर बहुत बल दिया गया है। गुरूदेव का शिक्षा के बारे में ये मूल विचार पूरे विश्व में अनुकरणीय है। उन्होने कहा कि गुरूदेव का मानना था कि विदेशी शिक्षा और विश्वविद्यालय का गुणगान करना हमारी शिक्षा व्यवस्था का लक्ष्य नहीं होना चाहिए।