मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सहकारिता नीति 2023 को मंजूरी दी गई।
इस फैसले का स्वागत करते हुए राज्य के सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने ट्वीट किया, ‘सहकारिता से समृद्ध होता मध्यप्रदेश। कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय। सहकारिता नीति 2023 को मिली स्वीकृति।”
“सहकारिता नीति को लागू करने वाला पहला राज्य बना मध्यप्रदेश माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के इस निर्णय से प्रदेश विकास के नए आयाम तक पहुंचेगा। मैं प्रदेश की जनता की ओर से माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार प्रकट करता हूँ”, उन्होंने ट्वीट किया।
मध्य प्रदेश सहकारिता नीति 2023 में बताया गया कि राज्य के आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर पैदा करने में सहकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को जन आंदोलन बनाकर मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है।
“सहकार से समृद्धि” के मंत्र के साथ सहकारी समितियों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक सहकारी नीति की तत्काल आवश्यकता है, जिसके माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता, रोजगार सृजन के लिए प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं”, नीति के मुताबिक।
नीति का उद्देश्य सहकारी समितियों के कामकाज में सहकारी मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास (विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में) में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचान कर गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में सहकारी समितियों को बढ़ावा देना है।
साथ ही सहकारी समितियों के पंजीयन एवं नवीनीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाना। सभी प्रकार की सहकारी संस्थाओं की कार्य प्रणाली में व्यवसाय सुगमता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करना तथा सहकारी संस्थाओं की ज्ञान आधारित संसूचना का उपयोग आमजनों, सदस्यगण एवं अन्य सहकारी संस्थाओं द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में किये जाने हेतु बेहतर सूचना प्रणाली / सहकारी डाटा बेस विकसित करना है।
सहकार की भावना से समझौता किए बिना राज्य के सहकारी संस्थानों में कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों को शामिल करने के लिए, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के ऑनलाइन पोर्टल एमसीए 21 की तर्ज पर विभाग अंतर्गत समस्त सहकारी संस्थाओं के लिए एक सीएसएमपी पोर्टल तैयार करना है। इस पोर्टल पर संस्था के नाम, पते, पंजीयन क्रमांक / दिनांक, संस्था के संपर्क व्यक्ति का पूर्ण विवरण, संस्था के प्रशासक/परिसमापक/संचालकगण, संस्था के अंकेक्षण/निर्वाचन सम्बन्धी विवरण, संस्था के सदस्यों सम्बन्धी विवरण आदि को समाहित करते जन-सामान्य से साझा करना है।
सहकारी शिक्षा को सुदृढ़ करने हेतु राज्य सहकारी संघ के तत्वावधान में ‘राज्य सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण कोष’ की स्थापना की जायेगी। सहकारिता नीति 2023 के अनुसार, युवाओं को जागरूक करने के लिए राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में सहकारिता के बुनियादी ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना है।
इसके अलावा, प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं (पैक्स) को “सामान्य सुविधा केन्द्र” के रूप में विकसित करते हुए कृषि आदान, ऋण, विपणन, सूचना प्रौद्योगिकी एवं अन्य सेवाएं ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध कराना है।
सहकारी ऋण संस्थाओं के संदर्भ में. शहरी साख सहकारी संस्थाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देना है। नागरिक बैंकों में सदस्यों के पूंजी आधार को बढ़ाने हेतु आवश्यक वैधानिक प्रावधान करना है।
सहकारी आवास के संबंध में, आम जनता के लिए आवास सहकारी समितियों का पूरा डाटा पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा। सहकारी हाउसिंग सोसायटियों में व्याप्त अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए उपयुक्त एवं कड़ी कार्रवाई करना।
अक्रियाशील बीज उत्पादक सहकारी समितियों को क्रियाशील और प्रभावी बनाने के लिए उपयुक्त उपाय। राज्य सहकारी बीज संघ को प्रस्तावित बहुराज्यीय सहकारी बीज फेडरेशन से संबद्ध कर गुणवत्तायुक्त बीज के उत्पादन एवं विपणन हेतु एकल ब्रांड उपलब्ध कराना है।
इस सहकारिता नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक कार्ययोजना, जिसमें समय-सीमा के साथ-साथ ली जाने वाली गतिविधियां शामिल होंगी, राज्य सरकार के संबंधित विभागों तथा राज्य / जिला स्तरीय सहकारी संस्थाओं द्वारा तैयार की जायेगी।
नीति के क्रियान्वयन एवं उपलब्धियों की सतत समीक्षा एवं पर्यवेक्षण प्रत्येक तीन माह में / आवश्यकतानुसार राज्य के सहकारिता मंत्री/मुख्य सचिव स्तर से किया जाएगा।