राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के प्रबंध निदेशक पंकज बंसल को राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है।
उन्हें पिछले सप्ताह शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित निर्यात सहकारी समिति की पहली वार्षिक आम सभा की बैठक के दौरान चुना गया। यह चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर सुश्री सुमन कुमारी की देखरेख में हुआ।
बोर्ड के अन्य सदस्यों में राकेश कपूर, संयुक्त एमडी, इफको, शामलभाई पटेल, अध्यक्ष, जीसीएमएमएफ, चंद्र पाल सिंह यादव, अध्यक्ष, कृभको और बिजेंद्र सिंह, अध्यक्ष, नेफेड शामिल हैं। बता दें कि इफको, जीसीएमएमएफ, कृभको, नेफेड और एनसीडीसी बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति का हिस्सा हैं।
इस समिति में पांच सहकारी संस्थाएं इफको, कृभको, नेफेड, जीसीएमएमएफ और एनसीडीसी 100-100 करोड़ रुपये का योगदान देंगी। इस सोसायटी के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी होगी। इसकी प्रारंभिक चुकता शेयर पूंजी 500 करोड़ रुपये है।
पाठकों को याद होगा कि इस साल जनवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत संबंधित मंत्रालयों, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के समर्थन से एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना और इसके संवर्धन को मंजूरी दी थी।
यह समिति निर्यात करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी। इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को गति देने में मदद मिलेगी।
यह समिति ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के माध्यम से सहकारी समितियों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात संबंधी योजनाओं और नीतियों का लाभ प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेगी।
यह सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से “सहकार-से-समृद्धि” के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी, जहां सदस्य, एक ओर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे, वहीँ दूसरी ओर वे समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश द्वारा भी लाभान्वित होंगे।
इस समिति के माध्यम से होने वाले उच्च निर्यात के कारण सहकारी समितियां, विभिन्न स्तरों पर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि करेंगी, जिससे सहकारी क्षेत्र में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे। वस्तुओं के प्रसंस्करण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सेवाओं को बेहतर बनाने से भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे।
सहकारी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि, “मेक इन इंडिया” को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे अंततः आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा।