केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को महाराष्ट्र में मुंबई विश्वविद्यालय और सहकार भारती द्वारा आयोजित लक्ष्मणराव इनामदार स्मृति व्याख्यान में संबोधन दिया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि लक्ष्मणराव महाराष्ट्र में जन्मे और गुजरात को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया और पूरा जीवन गुजरात के युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों के बड़े नेतों और कार्यकर्ताओं का सृजन लक्ष्मणराव इनामदार जी को मिला।
उन्होंने कहा कि इनामदार द्वारा गढ़े और तैयार किए हुए अनेक कार्यकर्ताओं ने उनके द्वारा दिए संस्कारों के आधार पर गुजरात के सार्वजनिक जीवन को महिमामंडित करने का काम किया है। मुंबई विश्वविद्यालय ने लक्ष्मणराव इनामदार जी के नाम से एक पीठ स्थापित कर उनके विचारों को विद्यार्थियों के माध्यम से युगों-युगों तक पहुँचाने की नींव रखी है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देशभर के सहकारिता क्षेत्र के प्रमुख नेताओं में आज लक्ष्मणराव जी को सभी लोग आदरपूर्वक याद करते हैं।
उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के इन सभी नेताओं में से अकेले इनामदार एक ऐसे नेता थे जो किसी भी सहकारी समिति के ना तो सदस्य थे, ना ही पदाधिकारी थे लेकिन फिर भी सहकारिता क्षेत्र में उनका योगदान बहुत बड़ा था।
शाह ने कहा कि लक्ष्मणराव इनामदार जी में सहकार का तत्व, सिद्धांत और सहकारिता के अंदर व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए बौद्धिकता थी और इसी से उन्होंने इतने वर्षों तक ‘सहकार भारती’ का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि ये इनामदार जी के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज सहकार भारती एक अलग आयाम के साथ यहां खड़ी दिखाई देती है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन 1904 से आया और देखते-देखते महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, मध्य भारत, तमिलनाडु और बंगाल में सहकारिता आंदोलन फैलने लगा। उन्होंने कहा कि 1960, विशेषकर 1967, के बाद सहकारिता क्षेत्र में राजनीतिक दखल बढ़ने लगा और धीरे-धीरे देश के अर्थतंत्र में भी गिरावट आई और इसके कारण सहकारिता आंदोलन को बहुत क्षति पहुंची।
श्री अमित शाह ने कहा कि आज सहकार के उत्कृष्ट मॉडल अमूल के तहत देश में 36 लाख बहनें 60,000 करोड़ रूपए का दूध का व्यापार करती हैं और इनमें से एक भी बहन की पूंजी 100 रूपए से अधिक नहीं लगी है।
उन्होंने कहा कि गुजरात, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र, की समृद्धि में कोऑपरेटिव का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज देश में 30 करोड़ सदस्यों के साथ साढ़े 8 लाख कोऑपरेटिव समितियां हैं, 93,000 पैक्स हैं, 2 लाख दुग्ध समितियां हैं और इफ्को, कृभको, अमूल जैसी कई विश्वप्रसिद्ध सहकारी संस्थाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत के 12 कोऑपरेटिव बैंकों को विश्व की 300 प्रथम वरीयता प्राप्त कोऑपरेटिव समितियों में स्थान प्राप्त है।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए भी कई काम किए हैं, जैसे, सेटलमेंट के प्रॉब्लम को रिजर्व बैंक के साथ उठाया और अब अर्बन कोऑपरेटिव बैंक को भी सेटलमेंट करने का अधिकार दे दिया गया है। इसके साथ ही अर्बन कोऑपरेटिव बैंक अब नई शाखाएं भी खोल सकेंगे, बैंक मित्र भी बना पाएंगे, माइक्रो एटीएम भी खोल पाएंगे और रेजिडेंशियल लोन देने की इनकी ऋण सीमा को भी दोगुना कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में देश में ग्रामीण क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने निर्णय लिया है कि आने वाले 5 सालों में 3 लाख नए पैक्स बनाएंगे और हर पंचायत में एक पैक्स होगा और यह पैक्स मल्टीडाइमेंशनल होंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 20 प्रकार की नई गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़कर इन्हें वायबल बना दिया है। श्री शाह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मॉडल बायलॉज बनाकर सभी राज्यों को भेजे और देश के 23 राज्यों ने इन मॉडल बायलॉज को स्वीकार कर लिया है।
शाह ने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कई सरकारी बदलाव भी किए हैं। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स में कोऑपरेटिव और कॉर्पोरेट, दोनों को एकसमान स्तर पर लाने का काम आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है।
उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव की गतिविधियों को अगर हम समयानुसार अत्याधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर आगे बढ़ाएं, तो भारत जैसे देश में रोजगार के साथ अर्थतंत्र के विकास का इससे बड़ा और अच्छा तरीका और कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आने वाले दिनों में सहकारिता क्षेत्र में कई नए कदम उठाने जा रही है।
शाह ने कहा कि ऐसा मानकर मत चलिए कि कोऑपरेटिव अप्रासंगिक हो चुका है, बल्कि कोऑपरेटिव का भविष्य और उज्ज्वल होने जा रहा है।