बिहार राज्य सहकारी अधिनियम 2008 में बदलाव के कारण, कई पैक्स प्रबंधकों को वेतन नहीं मिलने से उनको और उनके परिवार जनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही इससे राज्य में पैक्स समितियों को पुनर्जीवित करने की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है।
राज्य में 8643 पैक्स हैं और वे धान और गेहूं की खरीद, फसल बीमा, पीडीएस दुकान, सीएससी केंद्र सहित अन्य विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बिस्कोमान के अध्यक्ष और जाने-माने सहकारी नेता सुनील कुमार सिंह ने कहा, “पैक्स प्रबंधकों को वेतन न मिलने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और यह राज्य के सहकारिता आंदोलन के लिए अच्छा संकेत नहीं है।”
इस बीच, बिहार राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष रमेश चंद्र चौबे ने पैक्स प्रबंधकों के मुद्दें पर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सहकारिता मंत्री को एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा, “पैक्स प्रबंधकों को लाभांश से वेतन भुगतान के प्रावधान के कारण, घाटे में चल रही पैक्स के कई मैनेजरों को वेतन नहीं मिल रहा है, जिसके कारण उनके परिवारों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। इस दिशा में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।”
अपने पत्र में चौबे ने मांग की है कि पैक्स में कार्यरत प्रबंधकों का वेतन सहकारिता विभाग से दिया जाये।
इस मामले को आगे बढ़ाते हुए हाल ही में पटना में बिहार पैक्स कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय कुमार गुप्ता की मौजूदगी में चौबे ने पत्र की एक प्रति बिस्कोमान के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार सिंह को भी सौंपी और उनसे समर्थन की मांग की। पाठकों को ज्ञात हो की सुनील, आरजेडी के एक प्रमुख नेता हैं जिसकी हिस्सेदारी नीतिश सरकार में है।
पाठकों को याद होगा कि पहले पैक्स प्रबंधकों के वेतन का भुगतान राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा किया जाता था लेकिन 2008 में राज्य सहकारी अधिनियम में प्रावधान करके इस पर रोक लगा दिया गया था। पत्र में कहा गया है कि पैक्स प्रबंधक मांग कर रहे हैं कि पहले वाले नियम को बहाल किया जाना चाहिए।
कुछ महीने पहले बिहार के कई सहकारी नेताओं ने राज्य के गर्वनर राजेंद्र आर्लेकर से भी मुलाकात की थी और बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम में किसानों के लिए शून्य ब्याज सहित पैक्स कर्मचारियों के वेतन सहित कई मुद्दों को सूचीबद्ध करते हुए एक ज्ञापन सौंपा था।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स के हित में कई नई पहल शुरू की हैं, जिनमें कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से पैक्स को मजबूत करना, पैक्स द्वारा नए एफपीओ का गठन, एलपीजी वितरक के लिए पैक्स की पात्रता, पैक्स को जन औषधि केंद्र बनाने के लिए मंजूरी समेेत अन्य विकासत्मक कार्य शामिल हैं। लेकिन काश बिहार पैक्स कर्मचारियों की स्थिति काफी अलग है।