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सहकार भारती की पंजाब इकाई से जुड़े नेता शंकर दत्त तिवारी ने पंजाब सरकार पर सहकारिता आंदोलन को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्य सरकार की एक अधिसूचना पर निशाना साधते हुए कहा कि नई सहकारी समिति बनाने के लिए शुल्क को एक लाख से बीस लाख किया जाना सीधे तौर पर सहकारिता आंदोलन को आगे न बढ़ाने देने की साजिश है।
तिवारी ने कहा कि यह अधिसूचना देश में मौजूदा सभी सहकारिता कानूनों का उल्लंघन है। देश में एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश नहीं है जो सहकारी समितियां बनाने के लिए शुल्क लेती हो।
उन्होंने पंजाब सरकार से इस फरमान को वापस लेने का आग्रह किया है।
सहकार भारती के नेता ने इस तथ्य पर जोर दिया कि सहकारी समितियों के माध्यम से ही गरीब लोग अपने जीवन स्तर को सुधार सकते हैं।
गौरतलब है कि किसानों, युवाओं, पुरुषों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2022 लोकसभा में पारित किया गया था और उसमें यह कहीं भी नहीं लिखा है कि सहकारी समिति से पंजीकरण शुल्क लिया जाए।
तिवारी ने कहा, “सहकार भारती का प्रत्येक कार्यकर्ता अपने हितों का त्याग करता है और समाज के लिए काम करता है, सहकारी समितियों के हितों और अधिकारों के लिए लड़ता है और इस कठिन परिस्थिति में, सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते, हम सभी उन युवा भाइयों और बहनों के साथ हैं जो एक नई सहकारी समिति बनाना चाहते हैं।
सहकार भारती के नेताओं ने आईएएस हिमांशु जैन सहित कई अधिकारियों से अपना अनुरोध रखा है। तिवारी ने कहा, ”हमने मुख्यमंत्री को कई ईमेल भी भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं आया।”
अधिसूचना 25 सितंबर 2023 को जारी की गई थी।