भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को दो अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों- हिरियुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक और श्री महालक्ष्मी मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया।
आरबीआई ने सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है कि वे बैंकों का समापन करने और इन बैंकों के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें।
श्री महालक्ष्मी मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 99.36% जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी जमा राशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 30 सितंबर, 2023 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमित के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18A के प्रावधानों के अंतर्गन कुल बीमाकृ़त जमाराशि के 24.58 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं।
इसी तरह, कर्नाटक में हिरियुर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 99.93% जमाकर्ताओं डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 30 सितंबर, 2023 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के अंतर्गत कुल बीमाकृत जमाराशि के 224.53 लाख रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्न कारणों से बैंकों का लाइसेंस रद्द किया है, जिसमें बताया गया है कि इन बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।
इसके अलावा, बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धाराओं 22 (3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की अपेक्षाओं के अनुपालन में विफल रहा है और इन बैंकों का बना रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है।
आरबीआई ने कहा, यदि इन बैंकों को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।