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सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी ‘अनाज भंडारण योजना’ को आगे बढ़ाते हुए, उर्वरक सहकारी संस्था इफको ने नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विस (नैबकॉन्स) और पालीताना ग्राम सेवा सहकारी मंडली के साथ गुजरात में एक त्रिपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर किये।
इस त्रिपक्षीय समझौते के तहत 500 मैट्रिक टन का ग्रामीण गोदाम निर्मित किया जाएगा। इस पर हस्ताक्षर केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुखभाई मंडाविया, इफको के एमडी डॉ. यू.एस.अवस्थी, विपणन निदेशक योगेन्द्र कुमार, इंडियन पोटाश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पी.एस. गहलोत समेत अन्य की उपस्थिति में किये गए।
इस संदर्भ में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखते हुए, अवस्थी ने लिखा, “आज ग्राम हनोल, पालीताना में ग्राम सेवा सहकारी मंडली, नैबकॉन्स और इफको के बीच में त्रीपक्षिय समझौता किया गया।इसके अंतर्गत ग्रामीण गोदाम 500 मैट्रिक टन का निर्मित किया जायेगा।
“यहाँ की सहकारी मंडली की आय में वृद्धि के लिये गोदाम बनाया जायेगा जिससे आसपास के गाँवों में किसानों का लाभ हो सकेगा। यह एक आदर्श गाँव हैं जहां पर अमृत सरोवर है जिसमें भारत की 33 नदियों का जल है।यहाँ युवाओं के लिये एक क्रिकेट स्टेडियम व अन्य आधारभूत सुविधाओं का निर्माण माननीय डा मनसुखभाई मंडाविया जी द्वारा कराया गया है”, उन्होंने लिखा।
इस पर 2.25 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी और इसके लिए 1 एकड़ की कुल भूमि की आवश्यकता होगी।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के आह्वान पर इफको भारत सरकार की अनाज भंडारण योजनाओं से जुड़ने में पैक्स की सहायता कर रहा है। इस योजना के तहत, नैबकॉन्स विभिन्न पैक्स के लिए परियोजना प्रबंधन परामर्श (पीएमसी) और इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) सेवाएं प्रदान कर रहा है।
हाल ही में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया था कि, राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) जैसे राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संघों ने इस पायलट परियोजना के अंतर्गत भंडारण क्षमता के निर्माण के लिए 1,711 पैक्स की पहचान की है।
वर्तमान में इस पायलट परियोजना के तहत 13 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों के 13 पैक्स में गोदामों का निर्माण कार्य चल रहा है।
अनाज भंडारण योजना में कृषि अवसंरचना कोष, कृषि विपणन अवसंरचना, कृषि यांत्रिकीकरण पर उपमिशन, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना, इत्यादि जैसी भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से पैक्स के स्तर पर विकेंद्रीकृत गोदामों, कस्टम हाइरिंग केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों, उचित मूल्य की दुकानों, इत्यादि सहित विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं का निर्माण शामिल है।
इन योजनाओं के अंतर्गत पैक्स गोदामों/भंडारण सुविधाओं के निर्माण और अन्य कृषि अवसंरचनाओं की स्थापना में सब्सिडी और ब्याज अनुदान का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा, 2 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं पर एआईएफ योजना के अंतर्गत 3% ब्याज अनुदान के लाभ को शामिल करके नाबार्ड द्वारा भी लगभग 1 प्रतिशत की अत्यधिक सब्सिडाइज्ड दर पर पैक्स को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है ।
अतः, इस योजना का लक्ष्य पैक्स के व्यावसायिक कार्यकलापों में विविधता लाकर उनकी आर्थिक दशा को सुदृढ़ करना है और उन्हें आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करके अंततः उनकी वित्तीय संवहनीयता में सुधार लाना है, शाह ने कहा।