एसएचजी बैंक लिंकेज और वित्तीय समावेशन पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों और राज्य सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह ने कहा कि आरआरबी और सहकारी बैंकों की भूमिका महिलाओं को सशक्त बनाकर ग्रामीण समाज को बदलने की होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शाखा प्रबंधकों को गांवों का दौरा करना चाहिए और वहां एक रात रुककर जमीनी हकीकत का आकलन करना चाहिए।
बैठक में नाबार्ड के अध्यक्ष ने कहा कि एसएचजी महिला सदस्यों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म उद्यमों के वित्तपोषण से उन्हें लखपति दीदियों में बदला जा सकता है। आरआरबी और सहकारी बैंकों द्वारा व्यक्तिगत महिला एसएचजी सदस्यों के वित्तपोषण पर चर्चा केंद्रित थी।
इस अवसर पर विभिन्न मापदंडों पर एसएचजी बैंक लिंकेज की प्रगति पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंकों द्वारा किए गए प्रस्तुति पर चर्चा की गई।
ग्रामीण महिलाओं ने दिखाया है कि वे ऋण के योग्य हैं और वे विकास के लिए बैंक के ऋण का उपयोग कर सकती हैं और नियमित ऋण भुगतान भी कर सकती हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एनपीए घटकर मात्र 1.43 प्रतिशत रह गया है जो बैंकिंग उद्योग में सबसे कम है। ग्रामीण परिवारों की लगभग 10 करोड़ महिलाओं को 96 लाख स्वयं सहायता समूहों के तहत नामांकित किया गया है और योजना की शुरुआत से इन महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों से 8.03 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया गया है।
इस कार्यक्रम के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने वाले बैंकों को पुरस्कृत किया गया।
बैठक में पंजाब नेशनल बैंक, नाबार्ड, वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी,राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारी और विशेषज्ञों ने भाग लिया।