नाबार्ड ने पिछले सप्ताह 13 राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एससीएआरडीबी) के प्रबंध निदेशक की एक बैठक बुलाई, जिसमें कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) की कम्प्यूटरीकरण परियोजना पर मुख्य रूप से चर्चा की गई।
इस दौरान नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक गोवर्धन एस. रावत ने भी एससीएआरडीबी के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।
बैठक में नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विस द्वारा तैयार मसौदा रिपोर्ट की भी समीक्षा की गई, जिसमें एआरडीबी को मजबूत करने और जमाकर्ताओं का विश्वास बढ़ाने के लिए जमा गारंटी कवर की स्थापना करने पर जोर दिया गया।
बैठक में एससीएआरडीबी और प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (पीसीएआरडीबी) के पुनर्वित्त और वित्तीय रिपोर्ट से संबंधित विषयों पर भी चर्चा हुई।
वर्तमान में, देश में 16 राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (एससीएआरडीबी) हैं, जिनमें से 13 पूरी तरह से संचालित हैं। 31 मार्च 2022 तक, इन बैंकों का कुल बकाया ऋण और उधार क्रमशः 21341.06 करोड़ रुपये और 13337.10 करोड़ रुपये रहा।
पाठकों को याद होगा कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एआरडीबी की कम्प्यूटरीकरण परियोजना का शुभारंभ किया था। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालयों को लगभग 225 करोड़ रुपये की लागत से कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा।
इस पहल का उद्देश्य लेनदेन की लागत को कम करना,किसानों को ऋण देने की सुविधा को आसान बनाना और योजनाओं की बेहतर निगरानी और मूल्यांकन के लिए वास्तविक समय पर डेटा की पहुंच को सक्षम बनाना आदि है। इससे प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से ऋण और संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने में छोटे और सीमांत किसानों को आसानी होगी।