केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का लोकार्पण और ‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा और डॉ. आशीष कुमार भूटानी, सचिव, सहकारिता मंत्रालय समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र, इसके विस्तार और इसे मज़बूत करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम हो रहा है जब 75 साल बाद पहली बार सहकारिता डेटाबेस का लोकार्पण हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र के विस्तार और उसे गति प्रदान करने के लिए ये कार्यक्रम हो रहा है। उन्होंने कहा कि हज़ारों लोगों के दो साल तक किए गए परिश्रम के बाद आज हमें ये सफलता मिली है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि 60 के दशक के बाद ये ज़रूरत महसूस की गई कि एक राष्ट्रीय नीति के तहत हर राज्य के सहकारिता आंदोलन के बीच समन्वय हो।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने साहसिक फैसला लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन किया।
शाह ने कहा कि हमने 20 नई गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ा है जिससे पैक्स मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से इनके विकास की कई संभावनाएं खुलीं और ये तय किया गया कि 2027 से पहले देश की हर पंचायत में एक पैक्स होगा।
उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बाद समस्या आई कि हमें ये पता नहीं था कि गैप कहां है और तब इस डेटाबेस का विचार आया, जिसके द्वारा गैप की पहचान कर विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डेटाबेस सहकारिता क्षेत्र के विकास को कंपास की तरह दिशा दिखाएगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कोऑपरेटिव सेक्टर में कंप्यूटराइजेशन से जुड़े कई इनिशिएटिव लिए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में पैक्स से लेकर ऐपैक्स तक पूरी सहकारिकता को कंप्यूटराइज कर इसकी ताकत बढ़ाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि यह डेटाबेस भारत की पूरी सहकारिता गतिविधियों की जन्मकुंडली है।
शाह ने कहा कि यह राष्ट्रीय डेटाबेस अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बनाया गया एक डायनेमिक वेब आधारित प्लेटफार्म है और इसकी मदद से देशभर की पंजीकृत सहकारी समितियों की सारी जानकारी एक क्लिक से उपलब्ध होगी।
उन्होंने कहा कि आज एक नींव डाली गई है और आने वाले वर्षों में इस नींव पर अगले सवा सौ साल तक चलने वाली एक मजबूत सहकारिता की इमारत खड़ी होगी।