देश की प्रतिष्ठित उर्वरक सहकारी संस्था- इफको ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुखभाई मंडाविया के उस बयान की प्रशंसा की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद कर देगा।
उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण पर बड़े पैमाने पर जोर देने से आपूर्ति और मांग के बीच अंतर को पाटने में मदद मिली है।
केंद्रीय मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू.एस.अवस्थी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि नैनो तरल यूरिया और नैनो तरल डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे वैकल्पिक उर्वरक किसानों के बीच काफी लोकप्रिय बन रहे हैं।”
“किसानों के बीच नैनो तकनीक आधारित उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिनकी लागत कम है औरकिसान हितेषी हैं। इन वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग फसलों और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। इसे बढ़ावा देने, समर्थन करने और आगे बढ़ाने के लिए माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री और रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुखभाई मंडाविया जी को हमारा हार्दिक धन्यवाद। देश भर की सहकारी समितियां भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं”, उन्होंने कहा।
मंडाविया ने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना करीब 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है। मांडविया ने कहा कि स्थापित घरेलू उत्पादन क्षमता 2014-15 में 225 लाख टन से बढ़कर करीब 310 लाख टन हो गई है।
पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में, मंत्री ने कहा कि वर्तमान में वार्षिक घरेलू उत्पादन और मांग के बीच का अंतर करीब 40 लाख टन है।’’
उन्होंने कहा कि पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता करीब 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी। 20-25 लाख टन पारंपरिक यूरिया के इस्तेमाल को नैनो तरल यूरिया से बदलने का लक्ष्य भी है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रमुख फसल पोषक तत्वों पर सब्सिडी बढ़ाकर भारतीय किसानों को वैश्विक बाजारों में उर्वरकों की कीमतों में तेज वृद्धि से भी बचाया है।