केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की ओर से किये गये एक ट्वीट में बताया गया कि अब तक 55,634 पैक्स के लिए हार्डवेयर खरीदा जा चुका है और 21,835 पैक्स में एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) ट्रायल जारी है।
ट्वीट में आगे कहा गया कि, पारदर्शिता लाने और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए पैक्स का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। पैक्स का कंप्यूटरीकरण सहकारिता मंत्रालय की वो पहल है जो सहकारिता क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला रही है।
मंत्रालय ने पैक्स के कंप्यूटरीकरण से होने वाले कई फायदे भी गिनाए, जिनमें, एक क्लिक पर पैक्स का डाटा मिल सकेगा, किसान आसानी से ऋण के लिए आवेदन कर सकेंगे, पैक्स के कामकाज में पारदर्शिता आएगी, पैक्स के संचालन की दक्षता में वृद्धि होगी, ऋणों का शीघ्र वितरण होगा, लेनदेन लागत कम हो जाएगी, भुगतान में असंतुलन कम होगा, किसानों के बीच पैक्स के कामकाज में विश्वसनीयता बढ़ेगी आदि शामिल हैं।
पाठकों को याद होगा कि राज्यसभा में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 60,685 पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें मध्य प्रदेश से 4,534 पैक्स से प्राप्त हुए और इन प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है।
देश भर में 63,000 कार्यात्मक पैक्स /बड़े क्षेत्र बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों (लैम्पस)/ किसान सेवा समितियों (एफएसएस) के कम्प्यूटरीकरण के लिए एक केंद्र प्रायोजित परियोजना वर्तमान में कार्यान्वयनाधीन है।
इस परियोजना के तहत पैक्स स्तर पर सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) और प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के कार्यान्वयन से पैक्स में शासन और पारदर्शिता में सुधार होगा, जिससे ऋणों का तेजी से वितरण होगा, लेनदेन लागत कम होगी, भुगतान में असंतुलन में कमी आएगी, डीसीसीबी और एसटीसीबी के साथ निर्बाध लेखांकन होगा और दक्षता भी बढ़ेगी।
उपरोक्त के अलावा, पैक्स को सामान्य सेवा केन्द्र (सीएससी) के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए, सहयोग मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो पैक्स को देशभर में ग्रामीण स्तर पर बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अद्यतन, स्वास्थ्य सेवाएं, कृषि सेवाएं आदि सहित 300 से अधिक ई-सेवाएं देने में सक्षम बनाएगा।