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राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने हाल ही में “फ्यूचर रोडमैप फॉर इंडियन डेयरी सेक्टर” विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया।
इस सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों का आयोजन किया, जिसमें से एक सत्र की अध्यक्षता आईसीएआर के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने की। इस सत्र में मदर डेयरी मिल्क के एमडी मनीष बंदलिश, अमूल डेयरी के एमडी डॉ. अमित व्यास, एसएमसी कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस की प्रिंसिपल डॉ. सुनीता पिंटो, एसएमसी कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. अतनु जाना, अमूल कोऑपरेटिव में क्यूए और एनपीडी के प्रमुख समीर सक्सेना, और एनडीडीबी के कार्यकारी निदेशक एस राजीव ने भाग लिया।
सत्र में पैनलिस्टों ने मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो किसानों की आय बढ़ाने और उपभोक्ताओं को विविध विकल्प प्रदान करने में मदद करते हैं।
चर्चा के दौरान पैनलिस्टों ने प्रमुख सिफारिशें की, जिसमें डेयरी सहकारी समितियों के लिए नवाचार को बढ़ावा देने हेतु उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया।
इसके अलावा, उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं के अनुरूप नए उत्पाद लॉन्च करने पर बल दिया, इम्युनोग्लोबुलिन, लैक्टोफेरिन और पेप्टाइड्स जैसे दूध के घटकों के स्वास्थ्य लाभों को मान्य करने के लिए नैदानिक परीक्षणों के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित करने का महत्व रेखांकित किया गया।
सत्र में मौजूद लोगों ने उपभोक्ता की माँगों के अनुरूप उत्पाद विकसित करने के लिए बाजार अध्ययन के माध्यम से उपभोक्ता रुझान को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
उन्होंने डेयरी सहकारी समितियों को खोआ और चना जैसे पारंपरिक उत्पादों का निर्माण करने का सुझाव दिया।
सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया कि पारंपरिक और मूल्य वर्धित डेयरी उत्पादों का संतुलित मिश्रण डेयरी किसानों की लाभप्रदता बढ़ाने और उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प प्रदान करने में सहायक होगा। इन सिफारिशों और अंतर्दृष्टियों का उद्देश्य भारतीय डेयरी क्षेत्र को सतत विकास और नवाचार की दिशा में मार्गदर्शन करना है।