इफको की 53वीं वार्षिक आम बैठक पिछले सप्ताह दिल्ली स्थित एनसीयूआई सभागार में संपन्न हुई। देश भर के विभिन्न हिस्सों से आए इफको के आरजीबी सदस्यों ने एजीएम में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
बैठक को संबोधित करते हुए इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने शेयधारकों को 20 प्रतिशत लाभांश देने की घोषणा की। संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए संघानी ने कहा कि इफको नैनो यूरिया (तरल) किसानों की पहली पसंद के रूप में उभर रहा है।
हाल ही में संपन्न इफको के चुनाव की प्रशंसा करते हुए संघानी ने कहा कि यह पहली बहु-राज्यीय सहकारी संस्था है, जिसने नए सहकारी अधिनियम के बाद पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराया है।
अपने संबोधन में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू.एस. अवस्थी ने उपस्थित लोगों से किसानों के बीच नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का प्रचार-प्रसार करने को कहा ताकि देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया जा सके।
उन्होंने कहा, “अगर किसान अच्छी संख्या में इफको द्वारा लांच नैनो उत्पादों का प्रयोग करेंगे तो आप हर साल 30 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा बचा पाएंगे, जिसका इस्तेमाल देश के विकास के लिए किया जा सकता है।”
एमडी ने नैनो उर्वरकों की रेंज के लाभों के बारे में भी बताया और कहा कि नैनो यूरिया प्लस कई मायनों में अनूठा है। उन्होंने कहा कि यह जलवायु प्रतिरोधी भी है और यह ग्लोबल वार्मिंग को भी रोकेगा।
उन्होंने खेतों में नैनो यूरिया डालते समय आवश्यक सावधानियों के बारे में संक्षेप में बताया। डॉ. अवस्थी ने नैनो रेंज की लोकप्रियता के बारे में बताया कि अमेरिका, ब्राजील, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य कई देश नैनो यूरिया का आयात कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान रेडियो पर भी नैनो यूरिया की चर्चा हो रही है। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि भारत में हम पारंपरिक यूरिया पर ही जोर देते रहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि हम नैनो की ओर रुख करना होगा।
वार्षिक आम बैठक मेें उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री जे पी एस राठौड़ को ‘सहकारिता रत्न पुरस्कार’ और गुजरात के कांजीभाई भलाला को ‘सहकारिता बंधु पुरस्कार’ से नवाजा गया।
इस अवसर पर कई प्रतिभागियों ने भी अपने विचार रखे और सुझाव दिया। इफको के अधिकारी संतोष कुमार शुक्ला ने कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन किया।