खरीफ की बुआई के मौसम से पहले, नैफेड और एनसीसीएफ की ओर से किए जाने वाले किसानों के पूर्व-पंजीकरण में उल्लेखनीय तेजी आई है।
अकेले मध्य प्रदेश में, उड़द उगाने वाले कुल 8,487 किसान पहले ही एनसीसीएफ और नैफेड के माध्यम से पंजीकरण करा चुके हैं।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य प्रमुख उड़द उत्पादक राज्यों में क्रमशः 2037, 1611 और 1663 किसानों का पूर्व-पंजीकरण हुआ है, जो इस दिशा में की जा रही पहल में व्यापक भागीदारी का संकेत है।
नैफेड और एनसीसीएफ की ओर से मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत ग्रीष्मकालीन उड़द की खरीद का काम प्रगति पर है।
पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, “ये प्रयास किसानों को खरीफ मौसम के दौरान दलहन उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने की सरकार की रणनीति का हिस्सा हैं और इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।”
उपभोक्ता मामले विभाग की लगातार कोशिशों के परिणामस्वरूप उड़द की कीमतों में कमी आ गई है। उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को स्थिर रखने की दृष्टि से केंद्र सरकार के सक्रिय उपाय काफी महत्वपूर्ण साबित हुए हैं और किसानों को अपनी उपज का पर्याप्त मूल्य मिलना सुनिश्चित हुआ है।
इन पहलों के परिणामस्वरूप, 06 जुलाई, 2024 तक इंदौर और दिल्ली के बाजारों में उड़द की थोक कीमतों में क्रमशः 3.12 प्रतिशत और 1.08 प्रतिशत की सप्ताह-दर-सप्ताह गिरावट आई है। घरेलू कीमतों के अनुरूप, आयातित उड़द की कीमतों में भी गिरावट का रुख है।
ये उपाय किसानों और उपभोक्ताओं दोनों का ध्यान रखते हुए बाजार की गतिशीलता को संतुलित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को बताते हैं।
अच्छी बारिश होने की उम्मीद बढ़ने से किसानों का मनोबल भी बढ़ा है और ऐसी संभावना है कि इसके कारण मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उड़द उत्पादक राज्यों में अच्छी उपज होगी।
05 जुलाई 2024 तक उड़द की बुवाई का रकबा 5.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 3.67 लाख हेक्टेयर था। 90 दिनों में उपज देने वाली इस फसल से इस साल खरीफ के मौसम में अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है।