ताजा खबरेंविशेष

बजट में सहकारिता समेत अन्य क्षेत्रों का भी रखा गया ख्याल: संघानी

वर्ष 2024-2025 के बजट पर दिलीप संघाणी, अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की टिप्पणी-

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार द्वारा प्रस्तुत दूरदर्शी बजट (2024-25) के लिए मैं हार्दिक बधाइयाँ देना चाहता हूं। इस वर्ष का यह बजट सहकारी क्षेत्र सहित अन्य सभी क्षेत्रों में वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये की राशि का आवंटन कृषि परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निवेश से विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में कार्यरत सहकारी समितियों को फायदा होगा, जिससे उन्हें बेहतर संसाधन और समर्थन मिलेगा तथा बाजार तक पहुंच भी बढ़ेगी। यह सभी कदम जैसे कि प्राकृतिक खेती के लिए एक करोड़ किसानों का प्रमाणन, दस हजार जैव-इनपुट केंद्रों की स्थापना, कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण, देश भर के चार सौ जिलों में खरीफ फसलों का सर्वेक्षण, सब्जियों और तिलहन की खेती पर विशेष ध्यान निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा। इन सभी पहलों से कृषि क्षेत्र में कार्यरत सहकारी समितियों और विशेष रूप से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को सीधे लाभ होगा जिससे उन्हें बेहतर संसाधन, समर्थन और बाजार तक पहुंच भी मिलेगी। इसके फलस्वरूप हमारे कृषकों का सशक्तिकरण होगा तथा संपोषणीय कृषि प्रथाओं को बढ़ावा भी मिलेगा।

यह सराहनीय है कि बजटीय प्रावधानों के अनुसार नैनो डीएपी का उपयोग विभिन्न उत्पादों के लिए किया जाएगा। वर्ष 2024-2025 के बजट में इफको के नैनो उत्पादों को उचित महता देने के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को विशेष धन्यवाद देता हूं।

यह भी अच्छी बात है कि इस वर्ष के बजट में सब्जियों और तिलहन जैसे सरसों, मूंगफली, सोयाबीन की उपज आदि हेतु सहकारी समितियों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया है जिससे सहकारी समितियों को उत्पादन, भंडारण और विपणन के क्षेत्र में भरपूर अवसर प्राप्त होंगे। अपनी विस्तृत पहुँच और नेटवर्क से सहकारी समितियां आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु रूप से चला सकती हैं ताकि ताजा उपज की बरबादी जो कि बीस से पैंतीस प्रतिशत हैं, उसको कम किया जा सकें और कंपनियों पर निर्भरता खत्म हो। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ, राज्य सहकारी संघौं/महासंघों के सहयोग से सहकारी मोडल के माध्यम से सब्जी और तिलहन क्लस्टर्स को विकसित करने के सार्थक प्रयास करेगा।

मैं और मेरे सभी सहकार साथी इस वर्ष के बजट में की गई घोषणाओं और नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति शुरू करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को देखकर बहुत ही उत्साहित हैं। ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति’ एक महत्वपूर्ण कदम है जो सहकारिता आंदोलन को मजबूत करेगा और जमीनी स्तर पर इसकी पहुंच बढ़ाएगा। यह नीति सहकारी समितियों के विकास और विनियमन के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करेगी जिससे उनकी वृद्धि भी सुनिश्चित होगी। यह सहकारिता-आधारित आर्थिक मोडल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है जो समावेशिता, समानता और साझा समृद्धि को प्रोत्साहित करता है।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न महत्वपूर्ण पहलें सहकारी समितियों को देश में रोजगार सृजन के मुख्य स्रोत के रूप में स्थापित करेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (पैक्स) को मजबूत करने के प्रयासों से निसंदेह रोजगार के विशेष अवसर पैदा हुए हैं। इस नीति से सहकारिता के मॉडल पर आधारित ग्रामीण उद्यमियों के और आगे बढ़ने की उम्मीद है जो निकट भविष्य में सतत विकास और आर्थिक सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

इनके अतिरिक्त कई ऐसी अन्य घोषणाएं भी हैं जहां सहकारी समितियां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अहम भूमिका निभा सकती है जैसे “पीएम जनजाति उन्नत ग्राम अभियान” के माध्यम से आदिवासी समुदाय के 63,000 गांवों का विकास” एक सराहनीय पहल है। सहकारी समितियां इस मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएंगी और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति का लाभ उठा पाएंगी। इस कदम से आदिवासी समुदायों की आजीविका में वृद्धि होगी और यह सुनिश्चित हो पाएगा कि विकास का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुंचे।

इस बजट में घोषित ‘पूर्वोदय’ योजना बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्य के बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, रोजगार और आर्थिक विकास को नई ऊर्जा प्रदान करेगी। इसके बदौलत सहकारी समितियों का क्षेत्रीय विकास की परियोजनाओं में अहम योगदान होगा जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाएगा।

एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत सरकार द्वारा तीन लाख करोड़ रुपये की राशि “नारी शक्ति” पहल के तहत आवंटित की गई है। यह पहल नारी को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इससे महिलाओं में नेतृत्व विकास की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास और क्रेच की सुविधा भी होगी। महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन होगा, महिला उद्यमियों की बाजार तक पहुंच बढ़ेगी, मुद्रा लोन की सीमा में वृद्धि होगी और राज्य सरकारें महिलाओं द्वारा खरीदी गई संपत्तियों पर स्टांप शुल्क कम करने के लिए प्रोत्साहित होंगी जो सहकारिताओं में महिलाओं को और सशक्त करेंगी। यह सभी कदम महिलाओं में नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने और उन्हे अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए और सक्षम बनाएगा।

इस तरह से बजट 2024-25 सशक्त सहकारी आंदोलन के लिए मंच तैयार करता है और ‘सहकार-से-समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करता है जो पूरे देश में सतत विकास और समावेशी विकास को बढ़ावा देता है। हम सभी इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त एवं साकार करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close