केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह नई दिल्ली में एनएफसीएसएफ के ‘चीनी उद्योग संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार 2022-23’ समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इस अवसर पर अमित शाह ने सहकारिता के आठ क्षेत्रों में सहकारी चीनी मिलों को राष्ट्रीय दक्षता पुरस्कार प्रदान किए।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि बहुत पुराने समय से हमारा देश सहकारिता आंदोलन का साक्षी रहा है और सहकारिता हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही है।
उन्होंने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित अनेक राज्यों ने इसमें नेतृत्व की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद सहकारिता आंदोलन में ज़रूरी बदलाव नहीं हुए और इसके कारण ये कुछ राज्यों तक सीमित रह गया।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने कहा कि अलग सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद से सहकारिता क्षेत्र में बहुत काम हुआ है।
उन्होंने कहा कि मोदी जी ने 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा है लेकिन इस लक्ष्य को हम 2025-26 तक ही प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहा कि लगभग 5000 करोड़ लीटर पेट्रोल की बिक्री में से इथेनॉल की ज़रूरत 1 हज़ार करोड़ लीटर हो जाएगी।
अमित शाह ने कहा कि हमें चीनी मिलों को वायबल बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार, मल्टीडायमेंशनल बायोफ्यूल प्रोडक्शन प्लांट लगाने के लिए हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि नेफेड सभी किसानों का 100 प्रतिशत मक्का और दलहन MSP पर खरीदेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि ही हमारा लक्ष्य है। शाह ने कहा कि मक्का और बांस से बनने वाले इथेनॉल के लिए सरकार ने 71.86 रूपए प्रति लीटर की उच्चतम दर रखी है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हम जहां भी बैठे हों, वहां से आगे बढ़ने की सोच से ही हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि एनएफसीएसएफ को लक्ष्य रखना चाहिए कि अगले 2 साल में सभी सरकारी चीनी मिलें इथेनॉल बनाने वाली बन जाएंगी। श्री शाह ने कहा कि हमें फेडरेशन को डायनेमिक बनाने और डिमांड तक सीमित न रखने पर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि डिमांड ड्रिवन फेडरेशन बनाने की जगह डायनेमिक फेडरेशन बनानी चाहिए और हमें गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों की समृद्धि का लक्ष्य रख कर काम करना चाहिए।