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सचिव ने सहकारी संघों के प्रतिनिधियों से की मुलाकात; सरकार की प्राथमिकताएं गिनाईं

केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय ने “सहकारी क्षेत्र का विकास: आत्मनिर्भरता के लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का सशक्तिकरण” विषय पर नई दिल्ली में एक व्यापक हितधारक परामर्श आयोजित किया, जिसमें देश में सहकारी समितियों को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

एक दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने की। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक सहित विभिन्न राष्ट्रीय सहकारी संघों के अध्यक्षों और प्रबंध निदेशकों सहित देश भर के हितधारक मौजूद थे। साथ ही, देश भर से 200 से अधिक अन्य हितधारकों ने वर्चुअल माध्यम से परामर्श सत्रों में भाग लिया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन के अनुरूप, मंत्रालय इस वर्ष के अंत तक या जनवरी 2025 तक देश में सभी पैक्स के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया पूरी कर लेगा।

उन्होंने कहा कि 2 लाख नए बहुउद्देश्यीय पैक्स बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि देश के उन इलाकों को कवर किया जा सके जिन्हें अब तक कम या बिल्कुल भी नहीं कवर किया जा सका है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारिता मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों के भीतर 2 लाख नए पैक्स को डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रत्येक पंचायत में व्यवहार्य सहकारी समितियों की स्थापना करने का लक्ष्य रखा है।

केन्द्रीय सहकारिता सचिव डॉ. भूटानी ने कहा कि सहकारिता मंत्री अमित शाह के वादे के अनुसार मंत्रालय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का खरीद के लिए तैयार है। उन्होंने सभी मक्का किसानों से इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ द्वारा खरीद के लिए किसान पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि यह किसानों और इथेनॉल मिश्रण मिशन दोनों के लिए फायदेमंद होगा। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने हाल ही में पेट्रोल और डीजल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के संशोधित लक्ष्य की घोषणा की और इसे प्राप्त करने की पूर्व समयसीमा को 2030 से घटाकर 2025-26 कर दिया।

पैक्स के डिजिटलीकरण पर हुई चर्चा में सभी व्यवहार्य पैक्स को एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग आधारित सॉफ्टवेयर पर लाने, उन्हें राज्य सहकारी बैंकों और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड के साथ जोड़ने पर जोर दिया गया। अब तक इस परियोजना के तहत 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 67,930 पैक्स को कंप्यूटरीकृत करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है और हार्डवेयर की खरीद, लीगेसी डेटा के डिजिटलीकरण और सपोर्ट सिस्टम की स्थापना के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 654.23 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी जारी की गई है।

परियोजना के तहत नाबार्ड को 141 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं। 30 अगस्त 2024 तक, 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 31,301 पैक्स को ईआरबी सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है और 21,477 पैक्स लाइव हो गए हैं।

 

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