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मध्य प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन’ और इससे संबद्ध दुग्ध संघों का संचालन अगले पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंपने की मंजूरी दे दी है। इस कदम का उद्देश्य राज्य के डेयरी उद्योग को पुनर्जीवित करना है।
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कदम की आलोचना करते हुए राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि यह गुजरात की सहकारी डेयरी ‘अमूल’ को मध्य प्रदेश के दूध ब्रांड ‘सांची’ पर कब्जा जमाने का प्रयास है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह कदम ‘पिछले दरवाजे’ से अमूल को राज्य में प्रवेश देने जैसा है।
इससे पहले, एनडीडीबी ने मध्य प्रदेश के डेयरी उद्योग को सुदृढ़ करने के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की थी। मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह ने सहकारी समितियों का विस्तार, विपणन प्रयासों को बढ़ाना, डेयरी बुनियादी ढांचे को उन्नत करना, और गोबर से बायोगैस एवं जैविक उर्वरकों के उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रस्तावों पर चर्चा की।
एनडीडीबी द्वारा ‘स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन’ का प्रबंधन संभालने का निर्णय राज्य के डेयरी उद्योग की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय में सुधार के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। एनडीडीबी की भागीदारी से सहकारी क्षेत्र में वृद्धि, दूध उत्पादकों को बेहतर लाभ, और राज्य के आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
बैठक के दौरान, यह तय किया गया कि एनडीडीबी अगले पांच वर्षों के लिए मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी संघ का संचालन करेगी। इसके लिए कानूनी और प्रशासनिक मंजूरी की आवश्यकता होगी, और यदि आवश्यक हुआ, तो सहकारी अधिनियम में संशोधन भी किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री यादव ने इस कदम को राज्य को दूध उत्पादन में अग्रणी बनाने के लक्ष्य से जोड़ा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एनडीडीबी और राज्य सरकार के बीच इस समझौते से दूध किसानों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जिससे उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित हो सकेगा।
मध्य प्रदेश वर्तमान में भारत में दूध उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर है, और राज्य सरकार ने अगले पांच वर्षों में दूध उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।