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प्याज के थोक रेल परिवहन की देखरेख कर रही है एनसीसीएफ

केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले के विभाग ने घोषणा की है कि मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) द्वारा खरीदे गए 1,600 मीट्रिक टन (42 बीसीएन वैगन यानी लगभग 53 ट्रक) प्याज को नासिक से दिल्ली एनसीआर तक कंडा फास्ट ट्रेन द्वारा भेजा जा रहा है।

यह पहली बार है कि मूल्य स्थिरीकरण हस्तक्षेप के अंतर्गत रेल रेक द्वारा प्याज के थोक परिवहन के तरीके को अपनाया गया है। प्याज की इस खेप का 20 अक्टूबर, 2024 तक पहुंचना निर्धारित है और स्टॉक को दिल्ली-एनसीआर में वितरित किया जाएगा, जिससे इस त्योहारी मौसम के दौरान उपभोक्ताओं के लिए प्याज की उपलब्धता काफी बढ़ जाएगी।

केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले के विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सूचित किया कि प्याज परिवहन के साधन के रूप में रेलवे का महत्व बढ़ना तय है, क्योंकि निपटान में तीव्र गति लाने के लिए और अधिक स्थानों को जोड़ा जा रहा है।

अगले कुछ दिनों में लखनऊ और वाराणसी के लिए रेल रेक द्वारा खेप भेजना निर्धारित किया जाएगा। विभाग ने भारतीय रेल से नासिक से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में कई स्थानों पर प्याज रेक के परिवहन की अनुमति देने का भी अनुरोध किया है, जिसमें एनजेपी: न्यू जलपाईगुड़ी (सिलीगुड़ी), डीबीआरजी- डिब्रूगढ़, एनटीएसके- न्यू तिनसुकिया और सीजीएस: चांगसारी शामिल होंगे।

इससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्याज की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित होगी और उपभोक्ताओं को एक बहुत ही उचित मूल्य पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी।

प्याज निपटान की शुरुआत से लेकर अब तक प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला काफी हद तक रुक गया है। यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, झारखंड और तेलंगाना जैसे प्रमुख राज्यों में औसत खुदरा मूल्य सितंबर, 2024 के पहले सप्ताह के स्तर की तुलना में, हाल के दिनों में कम हुए हैं। लासलगांव में मंडी की कीमतें भी 24 सितंबर को 47 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्चतम स्तर से घटकर 15 अक्टूबर, 2024 को 40 रुपये किलोग्राम हो गईं।

टमाटर के संबंध में, सचिव महोदया ने कहा कि इनकी कीमतों में हालिया उछाल आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के प्रमुख टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में अधिक वर्षा और उच्च नमी स्तर के कारण है। प्रतिकूल मौसम की स्थिति और कुछ इलाकों में बीमारियों के हमले ने टमाटर की फसल और उसकी शेल्फ लाइफ को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से बढ़ी हुई आवक से आने वाले दिनों में टमाटर की आपूर्ति की स्थिति बेहतर होना तय है, जिससे इनकी कीमतों में कमी आएगी।

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