केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में राष्ट्रीय डेयरी विकासबोर्ड (एनडीडीबी) के हीरक जयंती समारोह एवं श्री त्रिभुवन पटेल की जयंती पर 300 करोड़ रूपए की लागत से अनेक किसान कल्याणकारी गतिविधियों का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजव सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हाल ही में श्वेत क्रांति 2.0 की एसओपी जारी की गई है जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा बताए गई किसान हितोन्मुखी सभी प्रमुख बातों को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि हम एक लाख नई और मौजूदा डेयरियों को सशक्त करेंगे और इस दूसरी श्वेत क्रांति से मिल्क रूट्स का भी विस्तार होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि त्रिभुवन दास जी एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके कर्मठ जीवन की व्याख्या शायद ही कोई कर सकता है। त्रिभुवन दास जी ने स्व को त्याग कर देश के गरीब किसानों के सशक्तिकरण के लिए एक अनूठे विचार के साथ काम किया। उन्होंने जीवनपर्यंत स्वयं को अलग रखकर मूल सहकारिता की भावना के साथ देश के हर किसान को जोड़ने का यत्न, प्रयत्न और सफलता प्राप्त की।
शाह ने कहा कि त्रिभुवन दास जी के कारण ही देश के 5 करोड़ पशुपालक आज चैन की नींद सोते हैं और आज देश के करोड़ों किसान, विशेषकर महिलाएं, समृद्ध हो रही हैं। त्रिभुवन दास जी ने एक छोटी सी कोऑपरेटिव बनाई जो आज देश के 2 करोड़ किसानों को सहकारिता क्षेत्र के साथ जोड़कर हज़ारों करोड़ रूपए का व्यापार कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि एनडीडीबी की पहल के बाद अब पूरे डेयरी क्षेत्र के सभी संयंत्र भारत में मेक इन इंडिया के तहत बनेंगे। उन्होंने कहा किआज 210 करोड़ रूपए की लागत से मदर डेयरी के फल और सब्जी प्रसंस्करण ईकाई का शिलान्यास हुआ है। इसके साथ ही आज उत्तराखंड के बद्री घी और मदर डेयरी केगिर घी ब्रांड की भी शुरूआत हुई है।
उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव के उत्पाद की ब्रांडिग कर उसे बाज़ार में खड़ाकर कॉर्पोरेट के साथ स्पर्धा के लिए तैयार करना ही हमारी सफलता है। आज हमारा अमूल ब्रांड पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है और यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के एप्रीकॉट, हिमाचल के सेब और मेघालय के अन्नानास के किसानों को भी आजशुरू हुई योजनाओं से फायदा मिलेगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता को सशक्त करने के अभियान के परिणामस्वरूप 1970 में देश में दूध की उपलब्धता 40 किलोग्राम प्रति व्यक्ति थी, 2011 में 103 किलोग्राम और 2023 में बढ़कर 167 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है।
उन्होंने कहा कि विश्व की दूध की औसत प्रति व्यक्ति उपलब्धता 117 किलोग्राम है।