भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के रुटैग (ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्रवाई समूह) ने हाल ही में एनसीयूआई के साथ मिलकर एक व्यापक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य ग्रामीण किसानों और कारीगरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और भारत में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना था।
इस कार्यशाला में एचसीएल फाउंडेशन, जीआईजेड इंडिया, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स, प्रदान, डीटीएनबीडब्ल्यूईडी, हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र कौशल परिषद (एचसीएसएससी), इसरा, सीईईपी, और एमआईईटी सहित 60 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। उन्होंने चर्चा की कि एनसीयूआई और रुटैग के सहयोग से ग्रामीण विकास में सुधार के प्रयासों को किस प्रकार आगे बढ़ाया जा सकता है।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ. सुधीर महाजन ने सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए मंत्रालय के हालिया प्रयासों और एनसीयूआई की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ग्रामीण नवाचार और सहकारी रणनीतियां ग्रामीण समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सकती हैं।
रुटैग 2.0 के समन्वयक और मुख्य अन्वेषक प्रो. एम.आर. रवि ने कार्यक्रम के उद्देश्यों का परिचय देते हुए बताया कि यह पहल ग्रामीण समुदायों की विशिष्ट जरूरतों के अनुसार प्रौद्योगिकियों के विकास पर केंद्रित है।
इस कार्यशाला का मुख्य आकर्षण डॉ. एस.के. साहा का प्रस्तुतीकरण था, जिसमें उन्होंने पिछले दशक में विकसित तकनीकों का प्रदर्शन किया, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों और कारीगरों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई हैं।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी गतिविधियों का परिचय देते हुए अपनी तकनीकी आवश्यकताओं पर चर्चा की।
इस कार्यशाला ने एनसीयूआई और रुटैग के साथ संभावित सहयोग की नींव रखी, जिससे ग्रामीण विकास में तकनीकी नवाचारों का प्रभावी उपयोग हो सके।