राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि 21 नवंबर 2024 तक देशभर के 28 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में 40,214 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाया गया है।
इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण नागरिकों को 300 से अधिक ई-सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अपडेशन, स्वास्थ्य सेवाएं और कानूनी सेवाएं प्रमुख हैं। महाराष्ट्र इस पहल में अग्रणी है, जहां 5,860 पैक्स सीएससी के रूप में कार्यरत हैं।
इस पहल के तहत पैक्स को अतिरिक्त और स्थिर आय के स्रोत प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। साथ ही, वे केवल ऋण गतिविधियों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं।
यह पहल ग्रामीण जरूरतों को व्यापक रूप से पूरा करने और पैक्स को गांव स्तर पर एक व्यापक सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
पैक्स को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार ने 2,516 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ उनके कम्प्यूटरीकरण की परियोजना को मंजूरी दी है। इसके तहत सभी कार्यात्मक पैक्स को एक सामान्य ईआरपी (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाया जाएगा।
यह सॉफ्टवेयर नाबार्ड के साथ राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से जोड़ा जाएगा इस परियोजना के 2,516 करोड़ रुपये के कुल बजट में भारत सरकार का योगदान 1,528 करोड़ रुपये, राज्य सरकारों का 736 करोड़ रुपये और नाबार्ड का 252 करोड़ रुपये है।