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सुपारी पर शोध के लिए कैंपको ने केंद्र सरकार से मांगा फंड

सेंट्रल अरेका नट एंड कोको मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कोऑपरेटिव लिमिटेड (कैंपको) ने वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को एक महत्वपूर्ण अपील भेजी है। इस अपील में कैंपको ने सुपारी पर संभावित कैंसर-रोधी गुणों और इसकी सुरक्षा पर व्यापक वैज्ञानिक शोध कराने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने आगामी केंद्रीय बजट में इस उद्देश्य के लिए धन आवंटित करने की भी अपील की है।

कैंपको के अध्यक्ष ए. किशोर कुमार कोडगी ने पत्र के माध्यम से कहा कि सुपारी की खेती भारत के करोड़ों किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। वर्तमान में भारत में लगभग 9.55 लाख हेक्टेयर भूमि पर सुपारी की खेती होती है, जिससे हर साल 17-18 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होता है। उन्होंने यह भी बताया कि सुपारी उद्योग का आर्थिक महत्व इतना बड़ा है कि कैंपको ने अब तक जीएसटी के तहत 650 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है।

कैंपको ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा सुपारी को कैंसरकारक के रूप में वर्गीकृत किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि यह वर्गीकरण मुख्यतः गुटखा और पान मसाला जैसे उत्पादों पर आधारित है, जिनमें तंबाकू जैसे हानिकारक तत्व होते हैं। यह वर्गीकरण सुपारी के प्राकृतिक रूप पर लागू नहीं होता।

कैंपको ने विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधों का हवाला देते हुए कहा कि प्राकृतिक सुपारी में संभावित स्वास्थ्य लाभ और कैंसर-रोधी गुण हो सकते हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान (बेंगलुरु), एमोरी यूनिवर्सिटी (अमेरिका) और ताइपे मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (ताइवान) के अध्ययनों में यह पाया गया है कि सुपारी के अर्क में ट्यूमर-रोधी गुण होते हैं और यह स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाती।

निट्टे यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए कैंपको ने कहा कि जो लोग केवल सुपारी का सेवन करते हैं, उनमें मौखिक कैंसर के लक्षण नहीं दिखे। इसके विपरीत, सुपारी के साथ तंबाकू और अन्य हानिकारक पदार्थों का सेवन करने वालों में कैंसर के लक्षण पाए गए।

कैंपको ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, और भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे संस्थानों से सुपारी पर स्वतंत्र या संयुक्त शोध शुरू करने का सुझाव दिया है।

इसके अलावा, कैंपको ने डब्लूएचओ की पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन से भी परामर्श किया। उन्होंने डब्लूएचओ की वर्तमान राय की पुनः समीक्षा और सुपारी के संभावित स्वास्थ्य लाभों पर वैज्ञानिक शोध का समर्थन किया।

कैंपको के अध्यक्ष कोडगी ने कहा, “हमें विश्वास है कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कदम उठाएगी और शोध के लिए आवश्यक फंडिंग प्रदान करेगी। यह पहल किसानों की आजीविका को संरक्षित करने और सुपारी के लाभों को बेहतर तरीके से समझने के लिए अहम होगी।”

कैंपको की इस अपील से सुपारी पर एक संतुलित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता उजागर होती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे को आगामी बजट में कितनी प्राथमिकता देती है।

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